- जोधपुर में हुई हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर है गहलोत सरकार
- राज्य सरकार ने जोधपुर में इंटरनेट सेवाओं पर लगा दी है रोक
- एक झंडे को लेकर शुरू हुआ था विवाद, बाद में हिंसा का लिया रूप
Jodhpur Violence Update: राजस्थान के जोधपुर शहर में सांप्रदायिक तनाव के बाद 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। विवाद की शुरुआत सोमवार आधी रात के बाद हुई। हिंदू समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि वहां परशुराम जयंती पर लगाए गए भगवा ध्वज को हटाकर इस्लामी ध्वज लगा दिया गया और इसे लेकर दोनों समुदाय के लोगों में झड़प हो गई। हालात इस कदर बिगड़े कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करनी पड़ी। उपद्रव के इस मामले में अभी तक 97 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इंटरनेट सेवाएं निलंबित
इस बीच राजस्थान सरकार ने जोधपुर जिले में इन्टरनेट सेवाएं निलंबित कर दी है। संभागीय आयुक्त ने आदेश जारी कर सम्पूर्ण जोधपुर जिले(जोधपुर आयुक्तालय सहित) में इन्टरनेट सेवाओं को अस्थाई रूप से निलम्बित कर दिया है। आदेश के अनुसार इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से 2जी/3जी/4जी/डाटा(मोबाइल इन्टरनेट), बल्क एसएमएस, एमएमएस/व्हाट्सअप, फेसबुक, ट्वीटर एवं अन्य सोशल मीडिया (वॉयस कॉल्स, ब्रॉडबैण्ड इन्टरनेट, लीज लाईन को छोड़कर) से संबंधित इन्टरनेट सेवाओं को निलम्बित कर दिया है। यह प्रतिबंध अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगा।
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ऐसे हुई शुरूआत
आपको बता दें कि इस विवाद की शुरुआत सोमवार आधी रात के बाद उस वक्त हुई जब कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ सदस्य ईद के मौके पर जालोरी गेट के पास एक चौराहे पर धार्मिक झंडे लगा रहे थे। ल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने चौराहे पर स्थापित स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर धार्मिक झंडा लगाया, जिसका हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध किया। हिंदू समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि वहां परशुराम जयंती पर लगाए गए भगवा ध्वज को हटाकर इस्लामी ध्वज लगा दिया गया और इसे लेकर दोनों समुदाय के लोगों में झड़प हो गई।
इस घटना के बाद बीजेपी सरकार पर हमलावर हो गई है। बीजेपी ने कहा कि राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति चुनौती बनी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाओं के लिए राज्य सरकार का संरक्षण जिम्मेदार है।