- अब मोदी मैजिक Vs केजरीवाल का इंकलाब ?
- 'यूपी वाले' मोदी का अब 'मिशन गुजरात' ?
- दीदी ओ दीदी! जमे रहेंगे मोदी ?
Sawal Public ka : आज का हमारा मुद्दा है कि क्या 5 राज्यों के ये चुनावी नतीजे साबित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है ? क्या गुरुवार को आए नतीजे ये बताते हैं कि 2024 में कोई नहीं मोदी के टक्कर में? Times Now नवभारत ने प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी की जीत में मोदी फैक्टर को समझने के लिए एक फ्लैश सर्वे किया है। देश का मूड प्रधानमंत्री मोदी को लेकर क्या है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर देश क्या सोच रहा है? मैं जानती हूं कि Times Now नवभारत के इस सर्वे के रिजल्ट जानने को लेकर आपकी दिलचस्पी बढ़ रही होगी। लेकिन उसके पहले हम आपको उन नेताओं की ताकत बताते हैं जो 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के चैलेंजर हो सकते हैं।
देश के 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में BJP के पास लोकसभा की 301 सीटें हैं। लेकिन देश में इंकलाब फैलाने की बात करने वाले केजरीवाल की ताकत अभी दिल्ली और पंजाब में है, और दोनों राज्यों की 20 लोकसभा सीटों में उनके पास अभी कोई भी सीट नहीं है। ममता बनर्जी की ताकत बंगाल में है। जहां 42 लोकसभा सीटें हैं और ममता की ताकत 22 सीटों की है। के चंद्रशेखर राव की ताकत तेलंगाना में है, जहां कुल 17 सीटों में से 9 सीटों पर टीआरएस ने 2019 में जीत दर्ज की थी। शरद पवार की ताकत महाराष्ट्र में है, जहां 48 लोकसभा सीटें हैं और NCP के पास अभी 4 सीटें हैं।
पी विजयन की सीपीएम ने 2019 में केरल और तमिलनाडु में सफलता हासिल की। केरल की 20 में से 1 और तमिलनाडु की 39 में से 2 सीटें सीपीएम को हासिल हुई थी। जबकि एम के स्टालिन की ताकत तमिलनाडु में है। जहां की 39 में से 24 सीटें DMK ने 2019 में जीती थी। जगनमोहन की ताकत आंध्र प्रदेश में है, जहां की 25 में से 22 सीटें उनके पास है। नवीन पटनायक की ताकत ओडिशा में है। जहां कुल 21 में से 20 सीटें BJD के पास हैं। राहुल गांधी की ताकत 16 राज्यों में है। कांग्रेस ने 16 राज्यों की 53 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यानी विपक्ष का पूरा कुनबा मिलकर भी मोदी की ताकत से बहुत कम है। लेकिन आज बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस को एक तरह से गठबंधन का ऑफर दे दिया।
प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मुझे लगता है कि अखिलेश को हरा दिया गया है। वोटों की लूट हुई है। अखिलेश को परेशान नहीं होना चाहिए। जनता के पास जाना चाहिए और इसे चैलेंज करना चाहिए कि हर EVM की फॉरेंसिक जांच कराई जाए। अगर मुझसे कोई बात करेगा तो मैं जरूर बात करूंगी। अगर सब एक होंगे तो मैं तैयार हूं बात करने को। मोदी के आगे विपक्ष कमजोर है वो ये जानते हैं, फिर भी दोष EVM को देते हैं। लेकिन जिस EVM की फोरेंसिक जांच की बात ममता कर रही हैं, बंगाल में उसी EVM से हुई जीत पर वो कभी सवाल नहीं उठाएंगी।
बहरहाल, आपने ममता की शिकायतें सुनीं, लेकिन सुनिए प्रधानमंत्री मोदी 2022 के नतीजों को लेकर क्या सोच रहे हैं।
सवाल पब्लिक का
1. फिलहाल मोदी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ?
2. 2024 में मोदी के मुकाबले विपक्ष के पास चेहरा कौन ?
3. 2022 का रिजल्ट 2024 का ट्रेलर है ?