- मुकुल रॉय बीजेपी छोड़कर टीएमसी में हुए शामिल
- ममता बनर्जी बोलीं, घर का लड़का घर वापस आया
- मुकुल रॉय बोले- बीजेपी अब काम करने के लायक नहीं
मुकुल रॉय अब बंगाल में बीजेपी के हिस्सा नहीं हैं, उन्होंने विचार मंथन किया और पाया कि अब बीजेपी रहने के लायक नहीं लिहाजा प्रचंड बहुमत से तीसरी बार सत्ता में आईं ममता बनर्जी के साथ जाना सही होगा और इस विचार के साथ वो टीएमसी के एक बार फिर हिस्सा हो गए। मुकुल रॉय के टीएमसी ज्वाइन करने पर ममता बनर्जी ने कहा कि घर का लड़का घर वापस आया है उनसे किसी तरह का मतभेद नहीं है। अब सवाल यह है कि मुकुल रॉय के फैसले के पीछे क्या सिर्फ शुवेंदु अधिकारी का उभरना है, या वजह कुछ और है. इसे समझने से पहले इतिहास को समझना होगा
राजनीति में स्थाई फैसला कुछ भी नहीं
जब ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ तकरार बढ़ने लगी थी मुकुल रॉय ने पार्टी से किनारा कर लिया हालांकि उस समय वो नारदा शारदा मामले में सीबीआई जांच की तपीश को भी महसूस कर रहे थे। लेकिन मुकुल रॉय का बीजेपी से मोहभंग आखिर नतीजों के बाद हुआ या जब टीएमसी से युवा चेहरे जैसे कि शुवेंदु अधिकारी या राजीब बैनर्जी बीजेपी का हिस्सा बने तो उन्हें लगा कि बीजेपी में उनके लिए अब बहुत कुछ करने के लिए नहीं रहा।
मुकुल रॉय की घर वापसी पर दो दिग्गजों के बयान
मुकुल रॉय मुझसे पहले टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने हमारी पार्टी के संगठनात्मक कार्यों में उचित सम्मान के साथ अच्छी भूमिका निभाई। आज मुझे पता चला कि वह टीएमसी में लौट आए हैं। यह पूरी तरह से उसकी बात है। वह इसके बारे में कह सकता है। लेकिन यह हमारी पार्टी को कभी प्रभावित नहीं करेगा: खगेन मुर्मू, पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद
राजनीति में अवसरवादी ऐसा करते हैं। अभिषेक बनर्जी और उनके बीच एक दरार थी ... वे फिर भाजपा में शामिल हो गए ... वे आते-जाते रहेंगे। उन्होंने पहली बार चुनाव जीता, वह भी भाजपा के चुनाव चिह्न पर। जाने से पहले उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था: अर्जुन सिंह, पश्चिम बंगाल बीजेपी उपाध्यक्ष
क्या कहते हैं जानकार
टीएमसी की प्रचंड जीत के बाद बंगाल में इस तरह की खबरें आने लगीं कि बीजेपी के करीब 33 विधायक पाला बदल सकते हैं यूं कहें तो वो फिर से टीएमसी का दामन थाम सकते हैं। आखिर इस तरह की खबरों के पीछे की सच्चाई कितनी है। इस संबंध में बंगाल की राजनीति पर नजर रखने वाले कहते हैं कि जब शुवेंदु अधिकारी को बीजेपी में शामिल कराया गया तो यह उनके लिए व्यक्तिगत तौर पर अच्छी खबर नहीं थी।
नंदीग्राम से शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हरा दिया तो उन्हें लगने लगा कि अब बीजेपी इस चेहरे के साथ आगे की राजनीतिक सफर को तय करेगी। हालांकि यह सब सिर्फ सोच में ही जगह पा रही थी। लेकिन जब शुवेंदु अधिकारी को नेता विपक्ष की जिम्मेदारी दी गई तो मुकुल रॉय को लगा कि अब बीजेपी में उनके लिए बहुत कुछ करने के लिए नहीं रह गया है।