असम के 27 लाख लोगों को आधार कार्ड जारी करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। ये वो लोग है जिन्हें नागरिकता रजिस्टर की अनुपूरक सूची में 2019 में शामिल किया गया लेकिन इनके आधार का एप्लिकेशन रद्द हो गया। इस मामले की सुनवाई अब मई में होगी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की राजसभा सांसद सुष्मिता देव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भाट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने केंद्र सरकार, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और असम सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बिश्वजीत देब ने सवाल उठाया है कि वो लोग जिनका नाम नागरिकता रजिस्टर में बाद में जोड़ा गया, उनका आधार कार्ड क्यों नहीं बनाया जा सकता है? जबकि पहली बार 2017 में जिस आबादी को नागरिकता रजिस्टर से जोड़ा गया उन्हें आधार जारी किया जा चुका है। आधार कार्ड नहीं होने की वजह से ये लोग आधारभूत सुविधाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, जबकि कानून ये कहता है कि हर नागरिक आधार बनवा सकता है।
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याचिका में कोर्ट को जानकारी दी गई है कि दूसरी लिस्ट के लोगों ने आधार के लिए अप्लाई किया था लेकिन उनका एप्लिकेशन रद्द हो गया। आधार कार्ड नहीं होने की वजह से ये 27 लाख से ज्यादा लोगों को संविधान के अनुच्छेद 14 में दिए गए अधिकार का हनन हो रहा है। याचिका के मुताबिक अनुपूरक सूची में जुड़े लोगों को आधार जारी नहीं होने से वर्गभेद पैदा हो रहा है।
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