Mehbooba Mufti: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को 1989 के अपहरण मामले में यासीन मलिक को छोड़कर किसी की पहचान करने में नाकाम रहने के लिए अपनी बहन रुबैया का बचाव किया। साथ ही महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 32 साल एक लंबा समय होता है और लोग बहुत कुछ भूल जाते हैं। मीडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि किसी को पहचानने के लिए रुबैया सईद को गवाह के तौर पर बुलाया गया था।
महबूबा मुफ्ती ने बहन रुबैया का किया बचाव
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32 साल पहले रुबैया सईद का हुआ था अपहरण
साथ ही कहा कि यासीन मलिक पब्लिक डोमेन में था और उसे पहचानना आसान था। महबूबा ने कहा कि 32 साल लंबा समय है, लोग बहुत कुछ भूल जाते हैं। रुबैया किसी और को पहचान नहीं पाई, लेकिन उसने अपना कर्तव्य निभाया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद 1989 के अपहरण से संबंधित एक मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुईं और जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य लोगों की पहचान की, जिन्होंने उसे बंदी बना लिया था।
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ये पहला मौका था, जब रुबैया को मामले में पेश होने के लिए कहा गया था। पांच आतंकवादियों को रिहा करने के बाद रुबैया को छोड़ दिया गया था। रुबैया अब तमिलनाडु में रहती है। सीबीआई की ओर से अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में रुबैया लिस्टेड है। सीबीआई ने 1990 की शुरुआत में ही मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। रुबैया ने यासीन मलिक की पहचान की, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद था। बाद में उसने अदालत में दिखाई गई तस्वीरों के माध्यम से उसे फिर से पहचाना।