- उपराष्ट्रपति पद के लिए गत छह अगस्त को चुनाव हुआ, जीते धनखड़
- चुनाव में एनडीए ने बंगाल के राज्यपाल धनखड़ को उम्मीदवार बनाया
- इस चुनाव में विपक्ष ने मार्ग्रेट अल्वा को अपना प्रत्याशी घोषित किया था
Jagdeep Dhankhar Swearing in : जगदीप धनखड़ को गुरुवार को देश के 14वें उप राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस दौरान वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके कैबिनेट के सभी सदस्य, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित विपक्ष के कई नेता उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति पद के लिए गत छह अगस्त को हुए चुनाव में एनडीए प्रत्याशी धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को हराया। धनखड़ ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की जगह ली है। नायडू का कार्यकाल आज समाप्त हो गया।
लोकसभा के स्पीकर एवं नायडू से मिले धनखड़
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने मंगलवार को नायडू और धनखड़ को अपने आवास पर बुलाया। इस मौके पर नायडू और बिड़ला ने राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों एवं संसदीय कार्यों पर अपने अनुभव निर्वाचित उपराष्ट्रपति धनखड़ के साथ साझा किए। इस चुनाव में धनखड़ को 528 वोट और विपक्ष की उम्मीदवार अल्वा को 182 वोट मिले। उपराष्ट्रपति के लिए पिछले छह चुनावों की तुलना में धनखड़ को इस बार सबसे ज्यादा वोट मिले।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे धनखड़
उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने से पहले धनखड़ पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहे। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ धनखड़ के रिश्ते सामान्य नहीं थे। दोनों के बीच समय-समय पर कानून व्यवस्था एवं अन्य मुद्दों पर कड़वाहट सामने आती रही। धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किए जाने पर टीएमसी ने कहा कि वह इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। टीएमसी के दोनों सदनों में कुल 36 सांसद हैं। उप राष्ट्रपति चुनाव में करीब 55 सांसदों ने अपना वोट नहीं डाला।
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पहली बार 1989 में लोकसभा का चुनाव जीता
पेशे से वकील रहे धनखड़ ने राजस्थान हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस किया है। पहली बार उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुनझुनू से लोकसभा का चुनाव जीता। साल 1990 में वह संसदीय कार्य मंत्री रहे। धनखड़ की शुरुआती राजनीति पर पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल का असर रहा। जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ 1993 में किशनगढ़ सीट से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें साल 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद उन्होंने गत 17 जुलाई को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। भारत में उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है।