नई दिल्ली: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के महासचिव पवन वर्मा ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 'विभाजनकारी' सीएए-एनपीआर और एनआरसी को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत को विभाजित करने और अनावश्यक सामाजिक अशांति पैदा करने के लिए नापाक एजेंडा है।
नीतीश कुमार को लिखे एक खुले पत्र में वर्मा ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की उस एकतरफा घोषणा पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने कहा कि 15 से 28 मई के बीच राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया होगी। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक चलाई जाएगी। बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी।
जेडयू प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा, 'मैंने नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें विभाजनकारी सीएए-एनपीआर-एनआरसी योजना को अस्वीकार करने के लिए एक बयान जारी करने के लिए कहा है। मैंने बहुत आश्चर्य व्यक्त किया है कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एकतरफा घोषणा की है कि एनपीआर बिहार में मई 2020 में लागू किया जाएगा। उन्होंने किस आधार पर यह सार्वजनिक घोषणा की, क्या इस पर कैबिनेट की बैठक हुई? इन फैसलों की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की जानी चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का पहला चरण है और इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट किया है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। इसलिए यदि हमने एनआरसी को अस्वीकार कर दिया है, तो हम एनपीआर कैसे लागू कर सकते हैं। मैंने नीतीश कुमार से इस संबंध में स्पष्ट बयान जारी करने के लिए कहा है।
वर्मा ने यह भी कहा कि एनपीआर को उस राज्य में लागू नहीं किया जा सकता है, जिसने एनआरसी के कार्यान्वयन के लिए नहीं कहा है। बिहार के सीएम को लिखे पत्र में वर्मा ने कहा है, 'सीएए-एनआरसी को जोड़ हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने और सामाजिक अस्थिरता पैदा करने का एक सीधा प्रयास है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी योजना के खिलाफ एक स्टैंड लें और भारत को विभाजित करने के इसके नापाक एजेंडे को खारिज करें।'
नागरिकता संशोधन बिल का जब संसद में जेडीयू ने समर्थन किया था, तब पवन वर्मा ने पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के साथ इस कदम का विरोध किया था। इसके बाद नीतीश ने स्पष्ट किया कि वो एनआरसी का कभी समर्थन नहीं करेंगे और एनआरसी बिहार में लागू नहीं होगी।