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जमानत मिलने के बाद डॉ. कफील खान पर लगा NSA, अब नहीं आ पाएंगे जेल से बाहर

Updated Feb 14, 2020 | 12:30 IST

गोरखपुर के निलंबित डॉक्टर कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाया गया है। पिछले साल 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भड़काऊ भाषण देने के लिए ये कार्रवाई हुई है।

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गोरखपुर के डॉ. कफील खान

नई दिल्ली: गोरखपुर के डॉ. कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की धाराएं लगाई गईं हैं। 12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन संशोधन (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में उनके कथित भड़काऊ भाषण को लेकर ये कार्रवाई की गई है। उन्हें FIR दर्ज होने के बाद 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सोमवार को उन्हें जमानत दे दी गई। अब जमानत मिलने के कुछ दिन बाद उन पर NSA लगाया गया है। इसका मतलब उनका मथुरा जेल से बाहर आना मुश्किल है।

कफील खान के भाई आदिल खान ने आरोप लगाया, 'हमें आज सुबह पता चला कि डॉ. कफील के खिलाफ एनएसए लगाया गया है और अब वो जल्द ही जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। यह अस्वीकार्य है। उन्हें राज्य सरकार के इशारे पर निशाना बनाया जा रहा है।'

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से निलंबित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. खान को 29 जनवरी को मुंबई से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दोबारा अपराध न करने की शर्त के साथ 60,000 रुपए के जमानती बांड को प्रस्तुत करने के बाद उन्हें सोमवार को जमानत दी गई।

उनके खिलाफ विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का मामला दर्ज किया गया था। मुंबई में गिरफ्तारी के बाद खान को अलीगढ़ लाया गया, जहां से उन्हें मथुरा की जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। पुलिस ने कहा कि अलीगढ़ जेल में डॉ. खान की मौजूदगी से शहर की कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।

कफील खान उस समय चर्चा में आए थे जब गोरखपुर में मासूम बच्चे काल की गाल में समा रहे थे। कफील खान पर आरोप लगा था कि वो बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन सिलेंडरों का व्यक्तिगत इस्तेमाल कर रहे थे। हालांकि बाद में सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। गिरफ्तार होने के बाद कफील खान ने कहा कि गोरखपुर में बच्चों की मौत मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। लेकिन यूपी सरकार उसे फंसा रही है। वो महाराष्ट्र सरकार से गुजारिश करते हैं कि उसे यहां ही रहने दिया जाए वो उत्तर प्रदेश नहीं जाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि एएमयू के जिस प्रसंग का जिक्र किया गया है उसमें उनके भाषण का पूरा अंश नहीं बताया जा रहा है। उन्होंने वही सब कुछ कहा था कि जो इस समय सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर अधिसंख्य लोगों की भावना है। संविधान भी इस बात की इजाजत देता है कि अगर किसी विषय पर कोई शख्स सरकार के नजरिए से सहमत नहीं है तो वो अपनी बात रख सकता है। 

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