- जैसा मोदी ने सोचा था, वैसा बनारस! मोदी के मन वाली काशी का हुआ निर्माण
- आने वाले दिनों में बनारस की भव्यता पहले से और ज्यादा बढ़ेगी
- 100 से ज्यादा नावों को सीएनजी से किया गया लैस, प्रदूषण कम करने की पहल
बनारस: पीएम मोदी 13 दिसंबर को काशी जाएंगे और इस बार का जो उनका दौरा होगा वो बेहद खास होने वाला है। इसलिए क्योंकि पीएम मोदी का बनारस को लेकर जो एक सपना है वो पूरा होने वाला है। काशी कॉरिडोर का सपना। लेकिन पीएम मोदी के जाने से पहले 'टाइम्स नाउ नवभारत' ने काशी कॉरिडोर के चप्पे-चप्पे का जायजा लिया है। कॉरिडोर कैसा है, कैसी तैयारियां चल रही हैं, उसके लिए आप नीचे दी गई वीडियो रिपोर्ट देख सकते हैं।
33 महीने में बनकर हुआ तैयार
करीब 33 महीने के बाद ये सब बनकर तैयार हुआ है। ये वो कॉरिडोर है जो पीएम मोदी का सपना था। वो कॉरिडोर जो काशी के काया कल्प का सबसे नया उदाहरण है। इस कॉरिडोर के बनने..बनकर तैयार होने की कहानी सबसे अलग है, सबसे जुदा है। ये इसलिए क्योंकि कॉरिडोर का सपना सिर्फ काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ा कोई प्रोजेक्ट नहीं है, ये बनारस शहर की पहचान से जुड़ा प्रोजेक्ट है। साल भर पहले तक जिस काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करना बड़ी मुश्किल सी बात थी उसी मंदिर में दर्शन करना अब आसान हो जाएगा। काशी कॉरिडोर इन सारी झंझटों से निजात दिलाने वाला है।
हकीकत में बदली कल्पना
काशी कॉरिडोर जितना सुंदर है। उतनी ही सुंदर उसकी कहानी है। पीएम मोदी ने इसका पूरा फॉर्मूला दिया था। इस काशी कॉरिडोर को करीब साढ़े 5 लाख स्क्वायर फीट की जमीन पर बनाया जा रहा है। जिसका एकमात्र लक्ष्य है विश्वनाथ मंदिर के अड़ोस-पड़ोस के इलाकों को दोबारा भव्य बनाना। हालांकि इसे तैयार करते वक्त कई बातों का ख्याल रखा गया है। कॉरिडोर की तस्वीरें और तैयारियां बता रही है कि इसे लेकर अयोध्या की तर्ज पर काम हो रहा है। सुंदर काशी की कल्पना अब हकीकत में बदल रही है। काशी बदल रहा है। बदल रहा है बनारसऔर बदल रही है वो निशानियां जिसका इंतजार लोग सालों साल से कर रहे थे।
सीएनजी वाली नावें
बनारस की पहचान हमेशा से अलग रही है। बनारस का संस्कार हमेशा से अलग रहा है। अब कॉरिडोर बन जाने के बाद बनारस फिर नए रंग-रूप में जाना जाएगा। नई पहचान के लिए जाना जाएगा और इस सबके पीछे जिसकी सोच है..वो हैं पीएम मोदी। पीएम मोदी के काशी दौरे से पहले एक और खास प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है। और वो है पर्यटन से जुड़ा हुआ। बनारस में गंगा में चलने वाली नावों को अब सीएनजी से लैस किया जा रहा है। ऐसा इसलिए ताकि प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सके। हालांकि इस आदेश से नाविकों थोड़े से नाखुश भी हैं। गंगा किनारे बसा काशी शहर सबसे अलग है सबसे अद्भुत, वो चाहे धार्मिक दृष्टिकोण हो। या फिर सांस्कृतिक पहचान। गंगा नदी इन सारी बातों को काशी में एक नया आयाम देती है। यूं तो गंगा नदी का महत्व सबसे अलग है। लेकिन काशी में गंगा की पहचान भी बदल जाती है। गंगा के एक घाटपर मोक्ष की प्राप्ति होती है..दूसरे पर गंगा आरती..और तीसरे घाट पर कर्मकांड..इतनी विशेषताओं से सजे घाट के सामने कल-कल करती गंगा को अब बदलने की योजना बन रही है। ताकि स्वच्छता को भी बढ़ावा मिले और पर्यटन को नई पहचान मिले।