देहरादून : केदारनाथ धाम (Kedarnath Temple) के कपाट बुधवार सुबह खुलने वाले हैं, जिसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंदिर केा मंगलवार को करीब 10 कुंतल फूलों से सजाया गया, जिसमें गेंदा और अन्य फूलों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और लॉकडाउन की वजह से फिलहाल श्रद्धालुओं को मंदिर में बाबा केदारनाथ के दर्शन की अनुमति नहीं होगी।
सुबह खुलेंगे मंदिर के कपाट
मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए बुधवार (29 अप्रैल) को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। इस अवसर पर मंदिर के मुख्य पुजारी सहित केवल 16 लोग वहां मौजूद रहेंगे। इसके बाद अगले छह माह तक यहां पूजा-अर्चना होती रहेगी। हालांकि कोरोना वायरस और लॉकडाउन से उपजे हालात के सामान्य होने तक श्रद्धालु मंदिर में बाबा केदारनाथ के दर्शन नहीं कर सकेंगे।
बाबा केदारनाथ की डोली
इस बीच बाबा केदारनाथ की डोली भीमबली पहुंच गई है। सोमवार को भीमबली पहुंचने के बाद मंगलवार को बाबा केदारनाथ की डोली केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो गई है। यूं तो बाबा की डोली केदारनाथ पहुंचाने की यात्रा और कपाट खोलने का कार्यक्रम काफी धूमधाम से होता है, पर इस बार कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण यह सब संक्षिप्त में किया जा रहा है। वार्षिक पंचमुखी डोली यात्रा 27 अप्रैल को शुरू हुई, जिसमें कोरोना वायरस, लॉकडाउन के कारण सिर्फ 5 लोग ही शामिल हो पाए।
पंचमुखी विग्रह होंगे विराजमान
केदारनाथ धाम के कपाट यूं तो बुधवार को सुबह 6:10 बजे औपचारिक तौर पर खुलेंगे, लेकिन इसके लिए मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना तड़के 3 बजे से ही शुरू हो जाएगी। मंदिर के कपाट खुलने के बाद धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए गर्भगृह में भगवान केदार के पंचमुखी विग्रह को विराजमान कराया जाएगा। इस बार कोरोना संकट के कारण श्रद्धालु इस अवसर के गवाह नहीं बन पाएंगे।
श्रद्धालु अभी नहीं कर पाएंगे दर्शन
श्रद्धालु कब बाबा केदारनाथ के दर्शन कर पाएंगे, इस बारे में प्रशासन का कहना है कि इसका फैसला कोरोना संक्रमण से बचाव के बाद की परिस्थितियों पर निर्भर होगा। हालात सामान्य होने के बाद ही केदारनाथ धाम की यात्रा संचालन के बारे में फैसला लिया जाएगा।
यहां उल्लेखनीय है कि मध्य हिमालय में लगभग 11750 फीट की ऊंचाई पर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर विराजमान भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ धाम करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।