देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सियासत के दो दिग्गज चेहरे तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे एक दूसरे से मिले और वर्तमान सियासी माहौल पर चर्चा की। चर्चा के केंद्र में मोदी सरकार की नीतियां थीं कि कैसे संवैधानिक संस्थानों का बेजा इस्तेमाल उन सभी लोगों के खिलाफ किया जा रहा है जो सरकार के खिलाफ बोलते हैं। अनौपचारिक मुलाकात के बाद के चंद्रशेखर राव जब उद्धव ठाकरे मीडिया के सामने आए तो उनके संबोधन की पहली लाइन थी कि जोर जुल्म वाली केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई को और आगे बढ़ाना है।
'लड़ाई सिर्फ गद्दी की नहीं
के चंद्रशेखर राव ने कहा कि बीजेपी ने एक तरह ऐसा माहौल बनाया है जिसमें सरकार की नीतियों की मुखालफत करना राष्ट्रद्रोह माना जा रहा है। देश की जनतामोदी सरकार की नीतियों से तंग आ चुकी है और बदलाव का मन बना रही है, ऐसे में बीजेपी के खिलाफ समान विचार वाले दलों को साझी रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। हम लोगों की लड़ाई सिर्फ सत्ता हासिल करने तक नहीं है बल्कि देश की साझी और समृद्ध विरासत को कायम रखना है। तेलंगाना और महाराष्ट्र दोनों प्रदेशों ने दिखा दिया है कि केंद्र के असहयोग के बाद भी हम अपने विकास के एजेंडे को आगे ले जा सकते हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में के चंद्रशेखर राव ने क्या कहा
- हमने विकास के मुद्दों में सुधार और तेजी लाने और देश में संरचनात्मक और नीतिगत बदलाव लाने पर विस्तृत चर्चा की है। हम सभी मुद्दों पर सहमत हैं।
- हमारी बैठक का अच्छा परिणाम आपको बहुत जल्द देखने को मिलेगा। मैं उद्धव जी को तेलंगाना आने के लिए आमंत्रित करता हूं।
- केंद्रीय एजेंसियों का बहुत ही गलत तरीके से दुरुपयोग किया जा रहा है, हम इसकी निंदा करते हैं। केंद्र सरकार को अपनी नीति बदलनी चाहिए, ऐसा नहीं करने पर उन्हें नुकसान होगा। देश ने ऐसी कई चीजें देखी हैं।
2024 में होंगे आम चुनाव
2024 का चुनाव अभी दूर है। लेकिन राष्ट्रीय राजनीति को गैर बीजेपी गैर कांग्रेस से इतर दलों को एक साथ लाने में तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव जुटे हैं। अपनी मुहिम में जिस तरह से वो मोदी विरोधी खेमे को साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं वो निश्चित तौर पर आने वाले समय में और रफ्तार पकड़ेगा। सियासत में असंभव शब्द के लिए जगह नहीं है। सियासी हवा अपने रुख को कब और कैसे बदल लेती है उसके लिए सही समय और मौके की जरूरत होती है। यह तो आने वाला समय बताएगा कि केसीआर अपनी मुहिम में किस हद तक कामयाब होंगे। लेकिन वो गैर बीजेपी दलों के साझा मोर्चे की वकालत कर रहे हैं।
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