- हिमचाल प्रदेश विधानसभा के मुख्य गेट और दीवार पर खालिस्तान के झंडे लगे मिले।
- हरियाणा से गिरफ्तार आतंकियों के संबंध खालिस्तान समर्थकों से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।
- गैंगस्टर से आतंकी बने हरिंदर सिंह रिंदा की मोहाली हमले से कनेक्शन की जांच चल रही है।
Punjab Mohali Blast : पहले बीते रविवार को पंजाब के तरनतान में डेढ़ किलो RDX और अन्य विस्फोटक सामग्री मिलना, उसके बाद सोमवार को मोहाली में इंटेलिजेंस ब्यूरो के ऑफिस की तीसरी मंजिल पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG)के जरिए धमाका होना। और मोहाली धमाके के ठीक पहले 5 मई को हरियाणा के करनाल में आईएसआई से जुड़े पंजाब के रहने वाले चार संदिग्ध आतंकियों का हथियारों व RDX के साथ गिरफ्तार होना। यह साबित करता है कि पंजाब में सब-कुछ सामान्य नहीं है। वहां कोई अंडर करंट चल रही है। जिसकी आंच पंजाब और उसके आस-पास के राज्यों तक पहुंच रही है। और यह अंडर करंट क्या है, इसे बीते शनिवार को हिमाचल प्रदेश की घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है। धर्मशाला में विधानसभा के मुख्य गेट और दीवार पर खालिस्तान के झंडे मिले थे। और इसी तरह हरियाणा से गिरफ्तार आतंकियों के संबंध खालिस्तान समर्थकों से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।
क्या फिर से सिर उठा रहा है खालिस्तान आंदोलन
अगर इन सभी घटनाओं के तार आपस में जोड़े जाएं, तो साफ तौर पर यह समझा जा सकता है कि पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान की मांग को शह देने की कोशिश चल रही है। और उसे निश्चित तौर पर खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग और पड़ोस में बैठा पाकिस्तान अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिए बढ़ावा दे रहा है। और इस काम को अंजाम देने में युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। पंजाब में खालिस्तान के स्लीपर सेल की एक्टिविटी की बात पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी टाइम्सनाउ नवभारत से बातचीत में कही है।
इस बीच खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के लीगल काउंसिल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हिमाचल प्रदेश के सीएम को एक धमकी भरा संदेश जारी किया है और कहा है कि मोहाली में हुए अटैक से सबक लें। हिमाचल प्रदेश में 6 जून 2022 को रेफरेंडम 20-20 की वोटिंग का ऐलान किया जाएगा। इसके साथ साथ ही धर्मशाला विधानसभा परिसर में लगाए गए खालिस्तान के झंडों की घटना की जिम्मेदारी भी पन्नू ने ली है।
इस बीच मोहाली धमाके पर पंजाब के डीजीपी वीके भावरा ने कहा कि यह हमला हमारे लिए एक चुनौती है। शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि विस्फोटक में टीएनटी का इस्तेमाल हुआ। हमला जिस समय हुआ उस समय इमारत के कमरे में कोई नहीं था इसलिए जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ। डीजीपी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और हम जल्द इस केस को सुलझा लेंगे।
इसके पहले अगस्त से दिसंबर 2021 के दौरान भी पंजाब में कई ऐसी घटनाएं घटी, जिससे साफ लगता है कि आतंकियों का स्लीपर सेल राज्य में एक्टिव हो रहा है। अगस्त 2021 में अमृतसर के एक भीड़-भाड़ वाले इलाके में हैंड ग्रेनेड मिला था, जिसे बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया था। इसके बाद सितंबर में जलालाबाद में मोटरसाइकिल के जरिए किए गए ब्लास्ट में एक शख्स की मौत हो गई थी। वहीं दिसंबर 2021 लुधियाना कोर्ट में ब्लास्ट हुआ था जिसमें आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि 6 लोग घायल हो गये थे।
हाल की घटनाओं में गैंगस्टर से आतंकी बने रिंदा का कनेक्शन !
इस बीच सूत्रों का कहना है कि मोहाली हमले में हरिंदर सिंह रिंदा के कनेक्शन की भी जांच हो रही है। रिंदा पहले एक गैंगस्टर था जो बाद में आतंकवादी बन गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों करनाल में जो चार संदिग्ध आतंकवादी गिरफ्तार हुए उनमें से गुरप्रीत, रिंदा के संपर्क में था। पूछताछ में गुरप्रीत ने बताया है कि उसने रिंदा के कहने पर अन्य जगहों पर विस्फोटक पहुंचाए। रिंदा को भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हैंडलर माना जाता है। वह पाकिस्तान से ही अपनी गतिविधियां चलाता है।
रिंदा के अलावा एजेंसियों को खालिस्तान आंदोलन को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगे आतंकवादी बब्बर खालसा प्रमुख वधावा सिंह, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के प्रमुख रंजीत सिंह नीटा, इंडियन सिख यूथ फेडरेशन के प्रमुख भाई लखबीर सिंह रोडे, खालिस्तान कमांडो फोर्स के परमजीत सिंह पंजवड़ और सिख फॉर जस्टिस आतंकवादी संगठन के लीगल काउंसिल गुरपतवंत सिंह पन्नू के हाथ होने की उम्मीद है। जो कि खास तौर से गैंगस्टर और बेरोजगार युवाओं को निशाना बना रहे हैं। जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कर रही है।
क्या है खालिस्तान आंदोलन
असल में खालिस्तान आंदोलन, भारत से अलग एक अलग देश बनाने की मांग है। जो आजादी के समय से सुलग रही है। भारत के आजाद होने के समय सिखों का एक वर्ग था जो अलग देश की मांग कर रहा था। हालांकि वह स्वीकार नहीं हुआ और बाद में अकालियों द्वारा चलाए गए सूबा आंदोलन के रूप में सिखों का एक अलग राज्य बनाने की मांग के रुप में दिखाई दिया। उनके आंदोलन को देखते हुए 1966 में भारत सरकार ने पंजाब को अलग राज्य बनाने की मांग को स्वीकार कर लिया । लेकिन भाषा के आधार पर हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ का भी गठन किया गया। लेकिन यह स्थिति कुछ अलगाववादियों को पसंद नहीं आई। उन्ही में से एक जगजीत सिंह चौहान जो अमेरिका चला गया था। उसने 1980 में खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाया।
इसके बाद 80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन को न केवल पंजाब बल्कि विदेश से भी समर्थन मिला। और पंजाब में जनरैल सिंह भिंडरावाले खालिस्तान का सबसे मजबूत नेता बनकर उभरा। उसने स्वर्ण मंदिर के हरमंदिर साहिब को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। और उसके बाद ऑपरेशन ब्लूस्टार के जरिए उसका तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने खात्मा किया। लेकिन इसके बाद 23 जून 1985 को एक सिख ने एयर इंडिया के विमान कनिष्क में विस्फोट किया, जिसमें सवार 329 लोगों की मौत हो गई, इस आतंकवादी घटना को भिंडरवाला की मौत का बदला बताया गया। इसके अलावा ब्लूस्टार को लीड करने वाले पूर्व सेना प्रमुख जनरल एएस वैद्य की पुणे में में खालिस्तान कमांडो फोर्स ने हत्या कर दी थी। इसके बाद 1995 में पंजाब में आतंकवाद खत्म करने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई।
रिंदा की साजिश है RPG से हमला! इस कनेक्शन को भी खंगाल रही पंजाब पुलिस
अमेरिका में समर्थन
बीते 29 अप्रैल को संयुक्त राज्य अमेरिका के कनेक्टिकट प्रांत की आम सभा ने खालिस्तान समर्थित संगठन 'वर्ल्ड सिख पार्लियामेंट' द्वारा घोषित सिख स्वतंत्रता घोषणापत्र को मान्यता दे दी। जिसपर अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उनसे कहा कि कनेक्टिकट प्रांत की आम सभा के तथाकथित प्रशस्ति पत्र की गैर कानूनी कृत्य के तौर पर हम निंदा करते हैं। जाहिर है खालिस्तान आंदोलन अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और इस समय आंदोलन की अगुआई कर रहे आतंकवादी , पंजाब में स्लीपर सेल के जरिए उसे फिर से उग्र करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों और सरकारों को बेहद चौकन्ना रहना होगा।