नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को जब नागरिकता संशोधन बिल को सदन के पटल पर रखा गया तो विपक्ष की तरफ से जबरदस्त विरोध हुआ। विपक्ष के विरोध के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब देना शुरू किया और कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर देश का बंटवारा न हुआ होता तो देश को इस संशोधित बिल की जरूरत नहीं होती।
अमित शाह की दलीलों के बीच जब विपक्ष शांत नहीं हुआ तो स्पीकर ओम बिरला ने विधेयक पेश करने के लिए वोटिंग कराई जिसमें विपक्ष की करारी हार हुई। यहा हम बिल के पेश और लोकसभा में पारित होने तक के उन तमाम लम्हों का जिक्र करेंगे जिसमें गृहमंत्री ने सिलसिलेवार विपक्षी खेमे के सवालों का जवाब दिया।
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह के भाषण के कुछ खास अंश
- कैब को जब सदन के पटल पर रखा जा रहा था तो उस समय नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सवाल उठाए। उनका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर 1950 में नेहरू-लियाकत पैक्ट पर कांग्रेस ने गौर किया होता तो इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि कुछ लोग घुसपैठिये और शरणार्थी में अंतर नहीं समझ पा रहे हैं, बेहतर होता कि वो इसे समझते।
- गृहमंत्री ने कहा कि वो साफ करना चाहते हैं कि इस बिल कुछ लोग ऐतराज जता रहे हैं कि यह मुसलमानों के खिलाफ है तो उनका जवाब सीधा, सरल और स्पष्ट है, कैब किसी भी रूप में माइनॉरिटी के खिलाफ नहीं है। वो तो यह कहना चाहते हैं कि बिल .001 फीसद मुसलमानों के खिलाफ नहीं है।
- लोकसभा में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस बिल की वजह से मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों में भय का माहौल व्याप्त होगा। इस सवाल का जवाब गृहमंत्री ने दिलचस्प अंदाज में दिया। उन्होंने कहा कि अखिलेश जी अभी आप को समझने में वक्त लगेगा और पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा।
- सरकार के बिल का समर्थन करते हुए उन्होने कहा कि कहीं से भी यह बिल असंवैधानिक नहीं है। इसके जरिए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं होता है। यह बिस सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के लिये लाया गया है।
- गृहमंत्री ने कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 23फीसद थी जो अब घटकर 3.1फीसद रह गई है। बांग्लादेश में आबादी 22 फीसद थी जो घटकर 7.8 फीसद हो चुकी है। लेकिन अगर भारत की बात करें तो मुसलमानों की आबादी 1951 में 9.8 फीसद थी जो अब बढ़कर 14.23 फीसद हो चुकी है।
लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पारित होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास 109 सांसदों का समर्थन हासिल है, जेडीयू, बीजेडी और वाईएसआरसीपी के रुख से लगता है कि सरकार आसानी से ऊपरी सदन में इस बिल को पारित करा लेगी।