पुणे: प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और पद्म श्री से सम्मानित सिंधुताई सपकाल का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले 1.5 महीने से अस्पताल में भर्ती थीं और आज दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह ''अनाथ बच्चों की मां'' के तौर पर पहचानी जाती थी। उनके निधन पर पीएम मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया।
Sindhutai Sapkal ने 4 साल पहले बताई थी अपनी कहानी, 10 दिन की बच्ची को लेकर श्मशान में रहना पड़ा था
उन्होंने ट्वीट किया। डॉ. सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी नेक सेवा के लिए याद किया जाएगा। उनके प्रयासों के कारण, कई बच्चे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सके। उन्होंने हाशिए के समुदायों के बीच भी बहुत काम किया। उनके निधन से आहत हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित होने वाली सपकाल को पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ शैलेश पुंताम्बेकर ने कहा कि सपकाल का करीब डेढ़ महीने पहले हर्निया का ऑपरेशन हुआ था और वह तेजी से उबर नहीं पा रही थीं। आज, रात करीब आठ बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
गरीबी में पली-बढ़ीं सपकाल को बाल्यावस्था में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने 40 वर्षों में एक हजार से अधिक अनाथ बच्चों को गोद लिया और उनकी देखभाल की।
पद्म पुरस्कार के अलावा सपकाल को 750 से अधिक पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया था। वह पुरस्कार से प्राप्त राशि का उपयोग अनाथालय बनाने में करती थीं।