कोलकाता पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। ये नोटिस पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ उनकी विवादित टिप्पणी को लेकर जारी किया गया है। कोलकाता पुलिस ने उनके नाम पर दो प्राथमिकी दर्ज की हैं।
इससे पहले, नुपुर को नारकेलडांगा पुलिस ने तलब किया था और 20 जून को पेश होने के लिए कहा था। एक अन्य एमहर्स्ट पुलिस ने उन्हें 25 जून को बुलाया था। दोनों ही जगह वो अपनी जान को खतरा बताते हुए पेश नहीं हुईं। इसके बाद कोलकाता पुलिस की ओर से लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है। उन्हें दोनों थानों से 2-2 बार बुलाया गया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर उन्हें शुक्रवार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी (नुपुर की) अनियंत्रित जुबान ने पूरे देश को आग में झोंक दिया। देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए शर्मा अकेले जिम्मेदार हैं। न्यायालय ने शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने संबंधी उनकी अर्जी स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने (शर्मा ने) पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि उनका (शर्मा का) अपनी जुबान पर काबू नहीं है और उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए हैं तथा पूरे देश को आग में झोंक दिया है। फिर भी वह 10 साल से वकील होने का दावा करती हैं। उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए तुरंत पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए थी। ये बयान बहुत व्यथित करने वाले हैं और इनसे अहंकार की बू आती है। इस प्रकार के बयान देने का उनका क्या मतलब है? इन बयानों के कारण देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं... ये लोग धार्मिक नहीं हैं। वे अन्य धर्मों का सम्मान नहीं करते। ये टिप्पणियां या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए की गईं अथवा किसी राजनीतिक एजेंडे या घृणित गतिविधि के तहत की गईं।
पीठ ने कहा कि उन्होंने बहुत देर से माफी मांगी और वह भी यह कहते हुए मांगी कि यदि धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, वगैरह वगैरह। उन्हें तत्काल टीवी पर आकर देश से माफी मांगनी चाहिए थी। जब कोई प्राथमिकी दर्ज होती है और आपकी गिरफ्तारी नहीं होती है, यह प्रदर्शित करता है कि आपकी सांठगांठ है। वह सोचती हैं कि उनके पास सहयोग के लिए सत्ता है और इसलिए गैर-जिम्मेदाराना बयान देती हैं।
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