सीमा पर बार-बार अतिक्रमण कर दबाव बनाने की 'चाल' को भारत ने इस बार करारा जवाब दिया। 15-16 जून की दरम्यानी रात में गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। भारतीय जवानों ने देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। बताया जाता है कि इस संघर्ष में चीन के भी करीब 40 सैनिक मारे गए। हालांकि, चीन की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया।
इस घटना के बाद पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव काफी बढ़ गया। सीमा पर चीन ने अपनी फौज की तादाद बढ़ाई तो भारत भी पीछे नहीं रहा। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को जवाब देने के लिए अरुणाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश सभी मोर्चों पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा किया।
एलएसी के समीप एयरबेस पर वायु सेना अलर्ट मोड पर चली गई। यहां तक कि फ्रांस से आए नए राफेल लड़ाकू विमानों को भी जरूरत पड़ने पर अभियान में शामिल करने की तैयारी कर ली गई।
लद्दाख में मिसाइलों की तैनाती कर दी गई। सीमा पर तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह का दौरा किया। अपने दौरों के जरिए पीएम मोदी एवं रक्षा मंत्री चीन पर निशाना साधते हुए यह बात पूरी तरह से स्पष्ट कर दी कि भारत न तो अपनी संप्रभुता से रक्षा करेगा और न एक इंच पीछे हटेगा। भारत के सख्त तेवरों से चीन का दांव उल्टा पड़ गया।