- ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से एक और मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला का इस्तीफा
- लक्ष्मी रतन शुक्ला ने हावड़ा टीएमसी जिलाध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
- शुभेंदु अधिकारी के बाद लक्ष्मी रतन शुक्ला के तौर पर दूसरा विकेट गिरा
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति में उथल पुथल मचा हुआ है। सीएम ममता बनर्जी एक तरफ टीएमसी के मजबूत होने का दावा कर रही हैं तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी में दरार चौड़ी होती जा रही है। शुभेंदु अधिकारी के बाद कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भी इस्तीफा दे दिया है, हालांकि एमएलए पद को नहीं छोड़ा है। लक्ष्मी रतन शुक्ला ने टीएमसी के हावड़ा जिलाध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया है। इस नए राजनीतिक घटनाक्र पर बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने तंज कसा है।
एक एक कर दिग्गज छोड़ रहे हैं साथ
अमित मालवीय कहते हैं कि एक एक कर टीएमसी के दिग्गज ममता जी ता साथ छोड़ रहे हैं बर्फ का पिघलना जारी है। इसके साथ ही दो और मंत्रियों राजिब बनर्जी और पार्थ चटर्जी ने कैबिनेट की बैठक को छोड़ दिया। ये दोनों लोग ममता जी के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में भगवा लहर को अब कोई रोक नहीं सकता है। लेकिन उनके इस ट्वीट पर कुछ प्रतिक्रियाएं भी आई। एक यूजर का कहना है कि लक्ष्मी रतन शुक्ला एक्टिव राजनीति से रिटायरमेंट ले रहे हैं शेष 5 महीने के कार्यकाल को वो पूरी करेंगे।यही नहीं वो सौरव गांगुली के खास भी हैं।
ममता बनर्जी ने क्या कहा
ममता बनर्जी ने कहा कि शुक्ला अच्छे आदमी हैं। उन्होंने यह नहीं कहा है कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं। उन्होंने खेलों में वापस आने की इच्छा व्यक्त की है। वह राजनीति से राहत चाहते थे। इसलिए वो राज्यपाल को पत्र भेज रही हैं ताकि उनका इस्तीफे को मंजूर किया जा सके। हालांकि उन्होंने कहा है कि चुनाव होने तक वह विधायक बने रहेंगे।
जानकारों का क्या कहना है
जानकारों का कहना है कि इसमें दो मत नहीं कि ममता बनर्जी के सामने चुनौतियां नहीं है। चुनाव के ऐन मौके पर जब बड़े चेहरे पार्टी छोड़ते हैं तो स्वाभाविक तौर पर नेतृत्व के सामने संकट खड़ा होता है। जिस तरह से केंद्र सरकार के साथ साथ बीजेपी निशाना साध रही है उसके बाद मुश्किलों के सागर में टीएमसी गोते लगा रही है। टीएमएसी में एक बड़े धड़े को नाराजगी है कि जिस तरह से परिवारवाद के नाम पर ममता, कांग्रेस से अलग हुईं उस विचारधारा पर वो खुद कायम नहीं रह सकीं। भतीजे अभिषेक बनर्जी को दूसरे की कीमत पर बढ़ावा दिया जिसका जिक्र शुभेंदु अधिकारी भी कर चुके हैं।