- आतंकियों के मारे जाने के बाद उनके जनाजे में लोगों की भीड़ जुटाता था रियाज
- घाटी में साल 2014 से था सक्रिय, बुरहान के मारे जाने के बाद तेजी से ऊपर आया
- रियाज के सिर पर इनाम घोषित था, करीब 20 लोगों की हत्या में रहा है शामिल
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में अवंतीपोरा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल का एक टॉप कमांडर रियाज नाइकू ढेर हो गया है। यह सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी है।नाइकू घाटी में 2014 से सक्रिय था। इसे दुर्दांत आतंकवादी माना जाता था। यह करीब 20 लोगों की हत्या में शामिल रहा है। इसके सिर पर इनाम भी घोषित था।
सुरक्षाबलों को मंगलवार रात इलाके में एक टॉप आतंकवादी के छिपे होने की जानकारी मिली। जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने इलाके को घरे लिया और तलाशी अभियान शुरू की। बुधवार सुबह मुठभेड़ शुरू हुई और कुछ घंटों के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को ढेर कर दिया। नाइकू की तलाश सुरक्षाबलों को लंबे समय से थी। नाइकू के खात्मे से घाटी में मौजूद आतंकियों, दहशतगर्दी का रास्ता पकड़ने की सोच रहे लोगों और आतंकवाद के नेटवर्क को एक बड़ा झटका लगेगा।
2014 से सक्रिय नाइकू
नाइकू को घाटी में काफी दुर्दांत आतंकवादी माना जाता था। इसके सिर पर इनाम भी घोषित था। इसे चार पुलिसकर्मियों सहित 20 लोगों की हत्या का जिम्मेदार बताया जाता है। जुलाई 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नाइकू का नाम कमांडर के रूप में तेजी से उभरा। बुरहान के मारे जाने के बाद आतंकियों के जनाजे में जुलूस निकालने की योजना इसी की दिमाग की उपज मानी जाती है।
हिज्बुल का टॉप कमांडर बन गया था रियाज
बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नाइकू हिज्बुल का टॉप कमांडर बन गया। वानी की मौत के बाद मारे गए आतंकियों के जुलूस में ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल होने के लिए इसने जोर लगाया और इसमें वह काफी हद तक कामयाब हुआ। नाइकू इन जुलूसों में शामिल होने वाले युवाओं को आतंक के रास्ते पर चलने के लिए उकसाता और उन्हें बंदूक पकड़ने के लिए बरगलाता एवं गुमराह करता आया है।
नहीं सुधरेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान कश्मीर में मौके का फायदा उठाने की हमेशा कोशिश करता है। वह हिंसा के लिए लोगों को उकसाता है। इस बार भी वह घाटी में और आतंकियों को भेजने की कोशिश करेगा। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि वानी जैसे युवाओं का इस्तेमाल वह अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए करता है लेकिन इस बार वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगा क्योंकि अलगाववादी और पत्थरबाज पहले से ही जेलों में बंद हैं। उसके उकसावे के बावजूद कोविड-19 के खतरे की वजह से लोग प्रदर्शन के लिए सड़कों पर नहीं आएंगे। घाटी में सुरक्षा पहले से ज्यादा मुस्तैद है।