Chaudhary Charan Singh: वैसे तो 23 दिसंबर के दिन देश-दुनिया में तमाम घटनाएं घटित हुईं लेकिन इस दिन का महत्व देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन होने के कारण अलग ही है, उनका जन्मदिन भारत में 'किसान दिवस' (Kisan Divas) के रूप में मनाया जाता है, चौधरी चरण सिंह एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ और किसान के हमदर्द थे।
वैसे कहा जाता है कि भारत गांवों में बसता है और इसे किसानों का देश भी कहा जाता है, किसानों से जुड़े मुद्दों पर अक्सर ही अवाज बुलंद होती रहती है, वहीं आज के दिन को किसान दिवस के तौर पर मनाने का मकसद पूरे देश को यह याद दिलाना है कि किसान देश का अन्नदाता है और यदि उसकी कोई परेशानी है या उसे कोई समस्या पेश आ रही है तो ये सारे देशवासियों का दायित्व है कि उसकी मदद के लिए आगे आएं।
बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को उनका जन्म हुआ था। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था।
यूपी के मुख्य मंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक का सफर
चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
जमींदारी प्रथा का किया उन्मूलन
वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।
चौधरी चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का था आदेश
9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलन्दशहर के गाँवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी। मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था। एक तरफ पुलिस चरण सिंह की टोह लेती थी वहीं दूसरी तरफ युवक चरण सिंह जनता के बीच सभायें करके निकल जाता था। आखिरकार पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफतार कर ही लिया। राजबन्दी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई।
राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में जुट गए थे
चरण सिंह ने स्वाधीनता के समय राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।
युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया
आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया।
गाजियाबाद की हिण्डन नदी पर बनाया था नमक
गाँधी जी ने 'डांडी मार्च' किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये। सारे देश में इस समय असंतोष व्याप्त था। महात्मा गाँधी ने करो या मरो का आह्वान किया। अंग्रेजों भारत छोड़ों की आवाज सारे भारत में गूंजने लगी थी।
चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजीत सिंह भारतीय राजनीतिज्ञ थे
वहीं चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजीत सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे वे भारत के कृषि मंत्री रहे और वो 2011 से केन्द्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। वो राष्ट्रीय लोक दल के लम्बे समय तक अध्यक्ष रहे, अब उनकी विरासत को उनके बेटे और चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी संभाल रहे हैं।