- चुनाव अभियान में उन्हें भारतीयों को ज्यादा वीजा देने के संकेत दिए थे।
- वह दिवाली या इस साल के अंत तक भारत के साथ FTA लागू करने की उम्मीद जता चुकी है।
- हालांकि रूस से तेल खरीद को लेकर उनका रवैया भारत के प्रति बहुत सकारात्मक नहीं रहा है।
Liz Truss Win and Relation With India: ब्रिटेन को नया प्रधानमंत्री मिल गया है। पूर्व विदेश मंत्री लिज ट्रस अब बोरिस जॉनसन की जगह लेंगी। लिज ट्रस के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद भारत के साथ कैसे रिश्ते होंगे, इस पर अब सभी की नजर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रस को उनकी जीत पर बधाई देते हुए कहा है कि उनके नेृत्तव में दोनों देशों के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। ट्रस इसके पहले भारत 3 बार जानसन सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भारत आ चुकी है। प्रधानमंत्री पद के कैंपेन और भारत यात्रा पर ट्रस के दिए गए बयानों से यह समझा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत और ब्रिटेन के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
बोरिस जॉनसन की नीति को बढ़ाएंगी आगे !
सबसे अहम बात यह है कि लिज ट्रस भी उसी पार्टी की नुमाइंदगी कर रही हैं, जिसकी पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कर रहे थे। कंजरवेटिव पार्टी (दक्षिणपंथी) के सदस्य होने के नाते यह तो साफ है कि ट्रस भारत को लेकर ब्रिटेन के रवैये में कोई बड़ा बदलाव करने नहीं जा रही है। इसके अलावा वह जॉनसन मंत्रिमंडल में कारोबार और विदेश मंत्री के पद रह चुकी है। ऐसे में जॉनसन की भारत के प्रति आर्थिक और विदेश नीति में निश्चित तौर पर ट्रस का भी सर्मथन रहा होगा। इसे देखते हुए यह तो साफ है कि वह भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करेगी
FTA की पक्षधर
भारत और ब्रिटेन के संबंधों को लेकर बोरिस जॉनसन की सबसे अहम भूमिका FTA (मुक्त व्यापार समझौता) की दिशा में आगे बढ़ना था। और ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि दोनों देशों के बीच दिवाली तक FTA हो जाएगा। अब जॉनसन की जगह ट्रस प्रधानमंत्री बनने जा रही है। और उन्होंने पिछले बार मार्च में भारत दौरे पर और उसके बाद चुनावी कैंपेन में भी वह FTA को जल्द से जल्द पूरा करने की बात दोहराती रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि वह चाहती हैं कि दोनों देश दिवाली या फिर 2022 के अंत तक FTA पर मुहर लगा दें।
भारत के साथ रक्षा भागीदारी बढ़ाने की पक्षधर
मार्च में वह जब भारत दौरे पर आई थी, तो उन्होंने इस बात की उम्मीद जताई थी कि रक्षा सौदों में भारत ब्रिटेन को तरजीह देगा। उन्होंने कहा था कि भारत मौजूदा समय अपनी रक्षा जरूरतों के लिए में रूसी हथियारों पर 60 फीसदी तक निर्भर है। लेकिन वह अब चीन के साथ रूस के रणनीतिक संबंधों और उन हथियारों के असर को लेकर चिंतित हैं, इसलिए ब्रिटेन के लिए एक वास्तविक अवसर है। यानी वह प्रधानमंत्री के रूप में ब्रिटेन और भारत के साथ ज्यादा रक्षा सौदों पर जोर दे सकती हैं।
भारतीयों को ज्यादा वीजा !
ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों के असर को देखते हुए, ट्रस ने चुनाव अभियान में इस बात को भी दोहराया है कि वह भारतीयों के टैलेंट और बौद्धिक क्षमता का सम्मान करती हैं। ऐसे में वीजा को लेकर उनकी नीति उदार दिख सकती है। जिसका फायदा भारतीयों को मिल सकता है।
रूस से तेल खरीदने पर भारत को नसीहत !
रूस-यूक्रेन युद्द के बीच भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले पर ट्रस ने भारत को नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था कि मैंने प्रतिबंधों पर यूके का रुख बता दिया। हम इस साल के अंत तक तेल के लिए रूस पर अपनी निर्भरता खत्म कर देंगे। जहां तक बात भारत की है तो वह एक संप्रभु देश है। मैं भारत को नहीं बताऊंगी कि उसे क्या करना चाहिए। इस भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने ट्रस और यूरोप को आइना दिखाते हुए कहा था कि रूस पर प्रतिबंध की बात करना एक अभियान जैसा लगता है जबकि यूरोप, रूस के युद्ध के पहले की तुलना में ज्यादा तेल खरीद रहा है।