लोगतंत्र में वो खबर दिखाई गई जो आपके लिए, समाज के लिए बहुत जरूरी है। इस खबर से उन लोगों का पर्दाफाश होगा जो भगवा चोले की आड़ में समाज में जहर घोलने का काम करते हैं। समाज में सांप्रदायिक जहर घोलकर अपनी दुकान चलाते हैं। हरिद्वार में एक आयोजन हुआ, नाम रखा गया धर्म संसद, लेकिन यहां तीन दिनों तक जो बातें हुईं वो बिल्कुल भी धार्मक नहीं हैं। यहां मौजूद लोगों के नाम के आगे संत और स्वामी जैसे उपसर्ग लगे हैं लेकिन इनकी जुबान से ऐसे ऐसे लब्ज निकले हैं जो हम आपको सुना भी नहीं सकते।
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहते हैं कि हथियार उठाए बिना धरती की कोई कौम ना तो बच सकती है और ना ही कभी बचेगी। यति नरसिंहानंद सरस्वती यूपी के डासना स्थित देवी मंदिर के महंत और 'जूना अखाड़े' के महामंडलेश्वर हैं। महामंडलेश्वर का मुख्य काम होता है सनातन धर्म का प्रचार प्रसार। अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाना। भटके लोगों को मानवता की सही राह दिखाना। लेकिन महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती कैसे अपने ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं, वो आपत्तिजनक है। वो कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे और अच्छे से अच्छे हथियार यही तुम्हें बचाने वाले हैं। हम केवल साथ खड़े हैं, और वो भी कितने दिन ये कोई नहीं जानता। हर आदमी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी है। हर आदमी को अपनी औरतें अपने बच्चे, अपना घर खुद बचाना है।
हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि कहते हैं कि मेरी जुबान पर लगाम होती है लेकिन इसके बाद बेलगाम तरीके से बोलते चले गए, सड़कों पर कत्लेआम मचाने के लिए उकसाते चले गए। वो कहते हैं कि ये जो चिंगारी लगाई थी ये अब आग बन गई है। इस आग को बुझने नहीं देना है। इस काम को करने के लिए धर्म संसद बुलाई गई है।
अब बात साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे की जो अखिल भारतीय हिंदू महासभा की सचिव हैं। नाम और पद इतना लंबा चौड़ा और बातें इतनी ओछी और भड़काने वाली। भगवा चोला ओढ़कर हिंसा भड़काने की बातें करती हैं,चीरने-फाड़ने की बात कर रही हैं। हरिद्वार में धर्म संसद के मंच से साध्वी अन्नपूर्णा ने जो बोला, उसे हम आपको जानबूझकर नहीं सुना रहे क्योंकि ये ना सुनने लायक बात है और ना ही बताने लायक। वो कहती हैं कि मेरे पंजे ही शेरनी की तरह हैं फाड़ कर रख देंगे। ये वही साध्वी अन्नपूर्णा हैं जिन्होंने साल 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतने पर गोली चलाई थी।
बिहार से आने वाले महंत धर्मदास कहते हैं कि हाथ में रिवॉल्वर होता तो नाथुराम गोडसे बन जाते, मनमोहन सिंह की जान ले लेते। आनंद स्वरूप महाराज की जुबान पर जान लेने की बात है। अब बात जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की ये इनकी नई पहचान है। चंद दिनों पहले इन्हें वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने भी भगवा चोला धारण कर लिया है, लेकिन इनकी सोच कितनी सनातन हो पाई है ये इनके बयान से ही झलक रहा है। कह रहे हैं कानून हाथ में लेना पड़ेगा।
धर्म के नाम पर नफरत फैलाना का ये कार्यक्रम हरिद्वार में चल रहा था। इसका नाम दिया गया था धर्म संसद। 17 से 19 दिसंबर तक इसका आयोजन किया गया था। इसी दौरान कई अलग अलग संगठनों के लोग यहां पहुंचे थे। तीन दिनों तक नफरत भरी बातें चलती रहीं, कत्लेआम के लिए लोगों को भड़काया गया, भड़काऊ भाषण दिए गए, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इस आयोजन के लिए इजाजत दी क्यों गई? आयोजन के दौरान प्रशासन मौन क्यों था? हिंसा की बात कहने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? हथियार खरीदने और कत्ल करने वाले गिरफ्तार क्यों नहीं हुई?