नई दिल्ली: लोकसभा ने मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी जो राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के अधिकार को बहाल करने से जुड़ा है। निचले सदन में इस संविधान संशोधन विधेयक पर मतविभाजन के दौरान पक्ष में 385 मत पड़े और विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा । इस दौरान आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन एवं शिवसेना के विनायक राऊत के संशोधनों को सदन ने अस्वीकृत कर दिया।
नियम के अनुरूप संविधान संशोधन विधेयक के रूप में इसे सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत द्वारा या सभा में उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी था। निचले सदन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सदन में इस संविधान संशोधन के पक्ष में सभी दलों के सांसदों से मिला समर्थन स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा कि सभी ने ऐसा ही विचार व्यक्त किया है कि यह विधेयक ओबीसी के हितों को पूरा करने वाला है और इससे प्रत्येक राज्य अपने यहां ओबीसी जातियों के संदर्भ में निर्णय ले सकेंगे।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा की नीति और नीयत दोनों साफ है। इसी कारण यह विधेयक लेकर आए हैं। मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 102वें संशोधन के समय किसी संशोधन का प्रस्ताव नहीं दिया था और ऐसे में कांग्रेस को कोई् सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को सशक्त बनाया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान विधेयक से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों को मजबूती मिलेगी और संघीय ढांचा भी मजबूत होगा। वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक के साथ महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में ओबीसी समुदाय को फायदा मिलेगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि जहां तक 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात की है, सरकार इस भावना को समझती है। कई सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने की मांग की है जिसे कई दशक पहले तय किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार सदस्यों की भावना से अवगत है। कुमार ने कहा कि इसलिये सभी संवैधानिक एवं कानूनी आयामों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है।
चर्चा के दौरान कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, शिवसेना सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार करने की सरकार से मांग की। कई विपक्षी सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने की भी मांग की। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने मतविभाजन के जरिये ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी । इसे संविधान 105वां संशोधन के रूप में पढ़ा जायेगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है, 'यह विधेयक यह स्पष्ट करने के लिये है कि यह राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है।'