नई दिल्ली: लोकसभा सचिवालय के द्वारा 2021 के लिए असंसदीय शब्दों की जारी की गई सूची पर मचे बवाल के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने खुद सफाई दी। ओम बिरला ने कहा कि यह कोई सरकार या संस्था नहीं करती बल्कि पुरानी परंपरा के तहत उन शब्दों को एक्सपंज किया जाता हैं जो अमर्यादित संदर्भ में कहे गए होते हैं। ये उस वक्त चेयर पर विवेक पर या फिर किसी भी सदस्य के विरोध करने पर किया जाता है।
लोकसभा स्पीकर ने साफ किया कि अगर किसी भी सदस्य जो जब उनके स्पीच की कॉपी दी जाती है ऐसे में उनके पास विकल्प होता है कि उनके स्पीच के एक्सपंज किये गए शब्दो पर लोकसभा सचिवालय से सफाई मांग सकते हैं। जहाँ तक किसी भी सदस्य के बोलने की बात हैं उसका मौलिक अधिकार है पर उनके स्पीच का हिस्सा किसी भी संदर्भ में असंसदीय नहीं होना चाहिए।
"ये उन एक्सपंज शब्दों का संकलन मात्र हैं"
सचिवालय बीते 1954 से इस तरह की सूची जारी करती हैं। इससे पहले 1986, 1992, 1999, 2004, 2009 में जारी की जा चुकी हैं बीते 2010 से हर साल इन सूची को जारी की जाने लगी। ये उन एक्सपंज शब्दों का संकलन मात्र हैं। एक्सपंज शब्दो का प्रयोग भविष्य में कोई सदस्य करना चाहे तो उचित सन्दर्भ में कर सकते हैं।
संसद सचिवालय के द्वारा जारी किए गए शब्दों की सूची पर विपक्ष ने सरकार पर लगातार हमले किये। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधिररंजन चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है और उनको इन शब्दों पर लगे प्रतिबंध को हटाना चाहिए।