- रतलाम में सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल पर कार्रवाई, वीर सावरकर की तस्वीर वाली नोटबुक बांटी थी
- शिक्षा विभाग की दलील, बिना अनुमति नोटबुक बांटने पर की गई कार्रवाई
- कांग्रेस ने प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई को बताया जायज
नई दिल्ली। वीर सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस अपनी तरकश से तीर चलाना शुरू कर देती है। मुंबई विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर की खता सिर्फ इतनी थी कि उसने राहुल गांधी के बारे में टिप्पणी कर दी और उसे जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। कुछ वैसा ही मामला मध्य प्रदेश के रतलाम का है। रतलाम के एक सरकारी स्कूल में वीप सावरकर की तस्वीर लगी नोटबुक को छात्रों में बांटा गया। लेकिन प्रिंसिपल साहब बड़ी गलती कर चुके थे। मध्य प्रदेश की सरकार तुरंत हरकत में आई और प्रिंसिपल साहब को निलंबित कर दिया।
जिले के शिक्षाधिकारी के सी शर्मा का कहना है कि प्रिंसिपल को इस लिए निलंबित किया गया क्योंकि उन्होंने बिना अनुमति के नोटबुक का वितरण किया था। उन्होंने कहा कि कोई भी शिक्षक प्रशासन की अनुमति के बगैर फैसला नहीं कर सकता है, जहां तक प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई का सवाल है वो नियम सम्मत है।
अब इस विषय पर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कांग्रेस की ओछी सोच है, जो पार्टी किसी खास लोगों के प्रति लगाव रखती हो उससे ज्यादा अपेक्षा नहीं कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी की आदत हर विषय पर सियासत की हो चुकी है आप इससे ज्यादा की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं। इस मामले में जानकारों की राय बंटी हुई है। कांग्रेस समर्थित जानकार कहते हैं कि यह सबको पता है कि स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर की भूमिका क्या थी। अगर सरकार उस तरह की विचारधारा पर रोक लगाना चाहती है तो गलत क्या है। लेकिन बीजेपी समर्थित जानकार कहते हैं कि कांग्रेस वैचारिक दिवालिएपन की शिकार हो चुकी है।