- ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 27 विधायकों के मोबाइल फोन अचानक बंद, इसमें 6 मंत्री भी हैं
- कमलनाथ ने अचानक कैबिनेट बैठक बुलाई, जिसमें सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया
- मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं उन ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा जो माफिया की मदद से अस्थिरता पैदा कर रही हैं
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में सियासी संकट गहरा गया है। कमलनाथ सरकार खतरे में दिख रही है। कांग्रेस के 17 विधायक अभी बंगलुरु में हैं, जिसमें से 6 मंत्री हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के हैं और सूत्रों की मानें तो वो अभी बीजेपी के संपर्क में हैं। सरकार पर मंडराते खतरे को देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रात में ही कैबिनेट की बैठक बुलाई। इस बैठक में मौजूद सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे दे दिए। उन्हें स्वीकार कर लिया गया है। बैठक में 16 मंत्री उपस्थित थे। राज्य के मुख्य सचिव एसआर मोहंती कमलनाथ के आवास पर पहुंचे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थक 27 विधायकों के मोबाइल फोन अचानक बंद जा रहे हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री ने हालिया राजनीति घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की। अनुमान लगाया जा रहा है कि सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने के लिहाज से ऐसा किया गया है।
BJP देख रही संभावनाएं
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इस में संभावनाएं तलाश रही है। शिवराज सिंह चौहान की दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ लंबी बैठक चल रही है। खबर है कि शिवराज सुबह भोपाल जाएंगे। मंगलवार को बीजेपी ने विधायकों की बैठक बुलाई है। 16 मार्च से मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है।
मुख्यमंत्री ने दी प्रतिक्रिया
कमलनाथ ने बयान दिया है, 'मैं उन ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा जो माफिया की मदद से अस्थिरता पैदा कर रही हैं। मेरी सबसे बड़ी ताकत राज्य के लोगों का विश्वास और प्यार है। मैं उन ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा जो सरकार में अस्थिरता पैदा कर रही हैं। ये मध्य प्रदेश के लोगों द्वारा बनाई गई सरकार है।'
बीजेपी विधायक का हमला
वहीं भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने कहा, 'ये ऑपरेशन कमल नहीं है। केवल एक चीज जो वहां है, वह है असंतोष। कमलनाथ और कांग्रेस को ध्यान देना चाहिए कि केवल कुछ राजनीतिक नेताओं के आसपास रहने से सरकार नहीं चलती है। सरकार में असंतोष के कारण मध्य प्रदेश का विकास रुका हुआ है। अजय सिंह, बिसाहूलाल सिंह के बयान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया का दर्द और मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने वाले उन वरिष्ठ नेताओं का दर्द इंगित करता है कि कमलनाथ ने मध्य प्रदेश को एक निजी सीमित कंपनी में बदल दिया है।'
पार्टी से नाराज हैं सिंधिया?
बताया जाता है कि सरकार द्वारा अपनी अनदेखी से ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय से नाराज चल रहे हैं। राज्ससभा सीटों को लेकर भी उनमें नाराजगी बताई जा रही है। कुछ समय पहले उन्होंने बयान भी दिया था कि अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करेगी तो वो सड़क पर उतर जाएंगे, इस पर बिफरते हुए कमलनाथ ने कहा था कि आना है तो आ जाएं।
मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ की सरकार को चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।