- शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है
- डिप्टी स्पीकर के नोटिस के खिलाफ अर्जी दायर की गई है
- उपाध्यक्ष ने सिर्फ 48 घंटे का वक्त दिया जबकि नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम सात दिन का वक्त दिया जाता है
महाराष्ट्र का सियासी संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एकनाथ शिंदे और भरत गोगावले की याचिका पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे शिंदे कैंप का केस लड़ेंगे तो डिप्टी स्पीकर का पक्ष कपिल सिब्बल रखेंगे और आदित्य ठाकरे के वकील अभिषेक मनुसिंघवी होंगे। शिंदे गुट की मांग है कि डिप्टी स्पीकर को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई से रोका जाए। साथ ही अजय चौधरी के विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी गई है। याचिका में लिखा गया है कि उपाध्यक्ष ने सिर्फ 48 घंटे का वक्ता दिया जबकि नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम सात दिन का वक्त दिया जाता है साथ ही जिन ग्राउंड्स पर नोटिस दिया गया है उसे भी चैलेंज किया गया है।
शनिवार को महाराष्ट्र विधान भवन सचिवालय ने शिंदे समेत शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने संबंधी अर्जी पर समन जारी कर उनसे 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। महाराष्ट्र विधान भवन के प्रधान सचिव राजेंद्र भागवत द्वारा हस्ताक्षरित, एक पत्र में शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु द्वारा नामित सभी 16 विधायकों को समन भेजा गया है। इससे पहले, प्रभु ने गुवाहाटी में डेरा डाले शिंदे गुट के बागी विधायकों को बुधवार को यहां पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन उनमें से कोई भी नहीं आए। इसके बाद शिवसेना ने सचिवालय को दो पत्र सौंपे, जिसमें शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई।
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि महाराष्ट्र में जो राजनीतिक परिस्थिति बनी हुई है। वो अब सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं है, कानूनी लड़ाई भी शुरू हो गई है। पार्टी के कई विधायक असम में रह रहे हैं, उनके खिलाफ हमने कानूनी कार्रवाई शुरू की है। लगभग 16 विधायकों को नोटिस भेज दिया गया है।
इस केंद्र सरकार ने रविवार को शिवसेना के कम से कम 15 बागी विधायकों को सीआरपीएफ जवानों से लैस 'वाई प्लस' श्रेणी का सुरक्षा घेरा प्रदान किया। वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि जो लोग वहां हैं, वो जिंदा लाश हैं। 40 विधायकों के शव यहां लौटेंगे। उनके सिर्फ शरीर यहां आएंगे। जब ये आएंगे तो दिल से जिंदा नहीं होंगे। हम पोस्टमार्टम के लिए विधानसभा भेजेंगे।
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