Maharashtra Crisis : महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई। शीर्ष अदालत की अवकाश पीठ ने अर्जियों पर सुनवाई करते हुए शिंदे गुट को जहां बड़ी राहत दी, वहीं महाराष्ट्र सरकार सहित सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए पांच दिनों का वक्त दिया। डिप्टी स्पीकर की भूमिका के ईर्द-गिर्द हुई बहस के दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह नोटिस भेजने की वैधानिकता का परीक्षण कर सकता है। कोर्ट ने कहा है कि 11 जुलाई की शाम साढ़े पांच बजे तक शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता के बारे में डिप्टी स्पीकर कोई फैसला नहीं लेंगे। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। कोर्ट ने सवाल किया कि डिप्टी स्पीकर खुद अपना जज कैसे बन सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने 39 विधायकों की जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार को दी है। अर्जियों पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में जोरदार बहस देखने को मिली। आइए एक नजर डालते हैं कोर्ट रूम में हुई बहस पर-
- सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे कैंप के विधायकों को बड़ी राहत दी है। वे 11 जुलाई शाम साढ़े पांच बजे तक डिप्टी स्पीकर को अपना जवाब दे सकेंगे। पहले इन विधायकों की जवाब देने की मियाद आज शाम को खत्म हो रही थी।
- शिंदे गुट और अन्य बागी विधायकों की ओर से पेश नीरज किशन कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर अभी फैसला नहीं हुआ है तो वह खुद बागी विधायकों की अयोग्यता का नोटिस कैसे जारी कर सकते हैं। कौल ने कहा कि बागी विधायकों को नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया जो कि महाराष्ट्र असेंबली के रूल 11 का उल्लंघन है।
- उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस केस में नबाम रेबिया केस लागू नहीं होता और शिंदे गुट को पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए थे।
- अजय चौधरी और सुनील प्रभु की ओर से पेश वकील सिंघवी ने कहा कि इस मामले में नबाम रेबिया केस लागू नहीं होता। सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट जाए बिना सुप्रीम कोर्ट आना गलत है। सिंधवी ने दलील दी कि डिप्टी स्पीकर का पद संवैधानिक होता है। डिप्टी स्पीकर जब तक कोई फैसला नहीं ले लेते तब तक कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।
- इस पर जज सूर्यकांत ने कहा कि नबाम रेबिया केस में डिप्टी स्पीकर और स्पीकर के फैसलों को स्पष्ट किया जा चुका है। कोर्ट ने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि नोटिस जो भेजा गया है कि वह संविधान के हिसाब से या नहीं। हम सदन की कार्यवाही के बारे में कोई बात नहीं कर रहे हैं। जज सूर्यकांत ने कहा कि नोटिस भेजने की वैधानिकता के बारे में कोर्ट दखल दे सकता है।
- सुनवाई के दौरान कोर्ट में महाराष्ट्र असेंबली के नियम-11 का उल्लेख किया गया। कौल ने कहा कि इस असेंबली के रूल 11 का उल्लंघन हुआ है। इस नियम के तहत नोटिस का जवाब देने के लिए 7 से 14 दिनों का समय दिया जाता है। शिंदे कैंप का कहना है कि उन्हें जवाब देने के लिए केवल 48 घंटे का समय दिया गया।
- सिंघवी की इस दलील पर कि कोर्ट इसमें कुछ नहीं कर सकता है स्पीकर को अपना फैसला पहले दे लेना चाहिए, कोर्ट ने कहा- हम इस मामले में दखल दे सकते हैं।
- बता दें कि डिप्टी स्पीकर के फैसले के खिलाफ शिंदे गुट ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने अर्जियों पर सुनवाई की। एक याचिका में 16 विधायकों को किसी तरह से अयोग्य ठहराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है जबकि दूसरी अर्जी में अजय चौधरी को विधायक दल के नेता पद पर नियुक्ति को गलत ठहराया गया है।
- आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो लोग यहां से भाग गए और खुद को बागी बता रहे हैं, अगर उन्हें बगावत करनी थी तो यहां करना चाहिए था। उन्हें इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए था। दूसरा फ्लोर टेस्ट तब होगा जब वे मेरे सामने बैठेंगे, मेरी आंखों में देखेंगे और कहेंगे कि हमने क्या गलत किया।
- कोर्ट ने इस बीच शिंदे गुट की याचिका को स्वीकार करते हुए डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी किया है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नोटिस स्वीकार कर लिया है। डिप्टी स्पीकर की तरफ से राजीव धवन, महाराष्ट्र सरकार की तरफ अन्य वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया है। सभी पक्षों को नोटिस का जवाब देने के लिए पांच दिन का समय दिया है।