- महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने सीबीआई से 'सामान्य सहमति' वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव किया है
- अनिल देशमुख ने इसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना भी साधा और सीबीआई पर दबाव की बात कही
- उन्होंने कहा कि सीबीआई पेशेवर तरीके से जांच करती है, पर राजनीतिक हितों के लिए उस पर दबाव डाले जाते हैं
मुंबई : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी गई 'सामान्य सहमति' वापस ले ली है, जिसका अर्थ यह हुआ कि जांच एजेंसी को अब विभिन्न मामलों की जांच के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। सरकर के इस फैसले की कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं तो कुछ इसका समर्थन भी कर रहे हैं। पूरे मामले में अब राज्य के गृह मंत्री ने बयान दिया है।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इशारों-इशारों में केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए गुरुवार को कहा, 'सीबीआई बहुत पेशेवर तरीके से काम करती है, लेकिन राजनीतिक हित के लिए इस पर इस तरह का दबाव बनाया जाता है, वह ठीक नहीं है। हमने इसी वजह से यह निर्णय लिया है।'
उद्धव सरकार का फैसला
उनकी यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार द्वारा बुधवार को सीबीआई को मामलों की जांच के लिए दी गई 'सामान्य सहमति' वापस लिए जाने के बाद आई है। सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर जांच एजेंसी द्वारा टीआरपी घोटाले में मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज किए जाने के एक दिन बाद यह फैसला लिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल हो गया है, जिन्होंने पहले ही सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ली है। महाराष्ट्र से पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी सीबीआई जांच में हस्तक्षेप की आशंका जाहिर करते हुए ऐसा कर चुके हैं।
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या इसे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की जांच पर कोई असर पड़ेगा, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है? इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि यह मामला महाराष्ट्र सरकार के ताजातरीने फैसले से अंतर्गत नहीं आता और यह जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की जा रही है। लिहाजा, अभिनेता की मौत मामले में सीबीआई जांच पर इसका असर नहीं पड़ेगा।