- डिप्टी स्पीकर को हटाकर अपना स्पीकर बनाने की भाजपा और शिंदे गुट रणनीति अमल में ला सकते हैं।
- राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अगले कदम पर भी सबकी नजर है।
- हालांकि भाजपा अभी भी आधिकारिक तौर पर देखों और इंतजार करों की रणनीति की बात कर रही है।
Maharashtra Political Crisis: अभी तक महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासी खेल में पीछे से शामिल भाजपा (BJP), अब फ्रंट पर आकर अपने दांव पेच चल सकती है। यह सियासी मोड़ महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला देने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शिंदे गुट (Eknath Shinde Group) के लिए बड़ी संजीवनी है। ऐसे में अगले 10 दिन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार के लिए बेहद अहम होने वाले हैं।
शिंदे गुट के पास क्या है ऑप्शन
शिंदे गुट, किस रणनीति पर काम कर रहा है, इसे सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लिखे पत्र से समझा जा सकता है। शिंदे गुट के वकील ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर कहा कि जब उन्हें हटाए जाने का प्रस्ताव लंबित है, तो मौजूदा विधायकों को अयोग्य घोषित करना आर्टिकल 179(ग) का उल्लंघन है। ऐसे में पहले उनको हटाए जाने के नोटिस पर बात होनी चाहिए। असल में शिंदे गुट एनसीपी नेता और डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को डिप्टी स्पीकर पद से हटाए जाने का नोटिस, पहले ही दे चुका है।
ऐसे में आने वाले समय में वह डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करने की मांग कर सकता है। और जिस तरह एकनाथ शिंदे के पास 39 बागी विधायकों का समर्थन है। उसे देखते हुए डिप्टी स्पीकर का प्रस्ताव आसानी से पारित हो सकता है। क्योंकि एनडीए के पास 113 विधायक हैं और इसके अलावा 39 शिव सेना विधायक सहित 8-9 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। अगर डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव पारित हो जाता है। वह उद्धव ठाकरे के लिए नैतिक हार के रूप में होगा।
इसके अलावा शिंदे गुट ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अपने को शिवसेना का हिस्सा बताया हैं। इसमें एकनाथ शिंदे को ही महाराष्ट्र शिवसेना विधायक दल का नेता बताया गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में दो तिहाई बहुमत का दावा कर शिंदे गुट असली शिवसेना के रूप में मान्यता की बात भी कर सकता है।
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भाजपा आएगी फ्रंट पर
अगर डिप्टी स्पीकर को हटाने का दांव नहीं चलता है तो भाजपा सीधे फ्रंट पर आ सकती है। इसके तहत वह राज्यापाल से फ्लोर टेस्ट की भी मांग कर सकती है। भाजपा की तैयारियों के संकेत भी मिलने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने अपने सभी विधायकों को 29 जून तक मुंबई पहुंचने को कहा है। इस बीच कोविड-19 से रिकवर होकर राजभवन लौटे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से 22-24 जून तक लिए गए फैसलों की फाइल मांगी है। राज्यपाल शिंदे गुट की ताकत को देखते हुए, राज्य के सियासी संकट पर खुद संज्ञान ले सकते हैं और उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकते हैं।
देवेंद्र फडणवीस के घर बैठक में क्या हुआ
इस बीच राज्य में जारी सियासी संकट पर भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के घर सोमवार को बैठक हुई। वैसे तो आधिकारिक रूप से बैठक के बाद भाजपा ने यही कहा है कि भाजपा ने अभी तक एकनाथ शिंदे के साथ कोई संपर्क नहीं किया है और पार्टी राज्य के हालात पर नजर बनाए हुए है और वह देखों और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है। लेकिन ऐसी खबरे हैं कि भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच मंत्रालयों के बंटवारे आदि की बातचीत फाइनल दौर में पहुंच चुकी है। ऐसे में साफ है कि आने वाले दिन उद्धव ठाकरे सरकार के लिए बेहद अहम होने वाले हैं।