- ममता बनर्जी को हिंदुत्व विरोधी छवि बनने का डर, भाजपा मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती रही है।
- 2024 के लोक सभा चुनाव में बंगाल में भाजपा से टीएमसी की सीधी टक्कर होगी।
- बंगाल में मां काली से राज्य की अस्मिता जुड़ी है। ऐसे में टीएमसी ने महुआ के बयान से किनारा कर लिया है।
Mahua Moitra on Goddess Kaali Statement: भले ही महुआ मोइत्रा ( Mahua Moitra) काली फिल्म के पोस्टर (Kaali Film Poster) पर मां काली को लेकर दिए गए बयान पर झुकने को तैयार नहीं है। लेकिन लगता है कि उनका रवैया अब पार्टी को खटकने लगा है। खुद तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने महुआ का बिना नाम लिए नसीहत दे डाली है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा है कि कभी-कभी कुछ गलतियां हो जाती हैं, लेकिन उन्हें सुधारा भी जा सकता है। ममता बनर्जी का यह बयान महुआ मोइत्रा के लिए बड़ा झटका है क्योंकि उन्होंने आज ही सुबह ट्वीट किया था कि वह मरते दम तक अपने बयान पर कायम रहेंगी और एफआईआर का सामना अदालत में करेंगी।
आम तौर पर भाजपा के विरोध पर हमलावर रहने वाली ममता बनर्जी के तेवर काली विवाद को लेकर नरम दिख रहे हैं। पहले तो उनकी पार्टी पर महुआ मोइत्रा के बयान से किनारा कर लिया और उसके बाद अब उन्होंने नसीहत दे डाली है। जाहिर है ममता बनर्जी को अंदाजा है कि महुआ मोइत्रा के बयान, पार्टी को भाजपा आक्रामक हिंदुत्व अभियान के आगे बैकफुट पर ला सकता है। खास तौर पर जब बंगाल में खुद मां काली से बंगाल की अस्मिता से जुड़ी हुई है।
हिंदुत्व विरोधी छवि बनने का डर
हाल ही में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार से जब शिव सेना के शिंदे गुट ने बगावत की तो उसने हिंदुत्व का ही कार्ड खेला। शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे पर यही आरोप लगाया कि वह कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर हिंदुत्व का रास्ता छोड़ चुके हैं। और भाजपा ने सरकार गिरने के बाद यही साबित करने की कोशिश की राज्य में हिंदुत्व विरोधी सरकार के कारण शिव सेना में बगावत हुई और उसने हिंदुत्व के लिए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया।
ऐसे में ममता बनर्जी के बयान से साफ है कि वह नहीं चाहती कि उद्धव की तरह कि उनकी सरकार की छवि हिंदू विरोधी बनाने की भाजपा कोशिश करें। क्योंकि भाजपा अगर ऐसा करने में सफल हो जाती है तो निश्चित तौर पर ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका होगा। पहले ही बंगाल में भाजपा उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती रहती है। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा, ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने में कामयाब नहीं हो पाई थी। लेकिन उसके पहले लोक सभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटें जीत लीं थी। वहीं टीएमसी को 22 सीटें मिली थीं।
बैंकर से नेता बनी महुआ टीएमसी की फायर ब्रांड नेता
महुआ मोइत्रा को ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। राजनीतिक पारी शुरू करने के पहले महुआ जेपी मार्गन चेज में बैंकर हुआ करती थी। बाद में वह भारत राजनीतिक पारी खेलने आ गई। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से की थी। लेकिन बाद में साल 2010 में वह तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गई। और दिल्ली में वह पार्टी की संसद में प्रमुख चेहरा बनीं। अपने भाषणों में मोदी सरकार पर काफी हमलावर नजर आती रही हैं। इसी का परिणाम था कि उन्हें गोवा विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी थी। लेकिन वहां पर पार्टी का खाता भी नहीं खुला। इस समय वह पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से सांसद है। इसके पहले वह विधायक भी रह चुकी हैं।
ममता भाजपा के खिलाफ विपक्ष की अगुआई करना चाहती है
असल में बंगाल की संस्कृति मां काली का विशेष स्थान है। वहां का कालीघाट काली मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है, इसी तरह दक्षिणेश्वर काली मंदिर गंगा के पूर्वी तट पर बना काली मां का भव्य मंदिर है। इसके अलावा बीरभूम जिले में तारापीठ मंदिर भी विशेष स्थान रखता है। खुद ममता बनर्जी भी अक्सर काली पूजा करते हुए नजर आती है। ऐसे में उन्हें पता है कि मां काली पर महुआ मोइत्रा का विवाद अगर जल्द समाप्त नहीं होगा, तो यह उनके राजनीतिक चुनौती बन सकता है। इसलिए आज वह बिना नाम लिए महुआ मोइत्रा को नसीहत दे रही थी तो उन्होंने यह भी कहा कि कुछ कहने से पहले लोगों की भावनाओं को समझना चाहिए।
असल में ममता बनर्जी यह जानती है कि भाजपा इस मुद्दे के जरिए लोकसभा चुनाव में टीएमसी को नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि राज्य की 42 सीटों में अब सीधी टक्कर टीएमसी और भाजपा की रह गई है। और वह किसी भी तरह यह नहीं चाहेगी कि भाजपा 2019 के जैसा या उससे अच्छा प्रदर्शन करें। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो उनके लिए विपक्ष की अगुआई करना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच चाहे राष्ट्रपति चुनाव हो या फिर दूसरे राज्यों के चुनाव ममता बनर्जी यह स्थापित करने की कोशिश कर रही है कि भाजपा को अगर कोई चुनौती दे सकता है तो वह केवल उनके नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस हैं। ऐसे में देखना है कि आने वाले समय में महुआ मोइत्रा विवाद खुद ठंडा हो जाता है या फिर ममता बनर्जी को महुआ के खिलाफ कोई एक्शन लेना पड़ता है। जैसे कि भाजपा ने नुपूर शर्मा को पार्टी ने निष्कासित कर किया है।