नई दिल्ली/ढाका : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का आज (शनिवार, 27 मार्च) दूसरा व आखिरी दिन है। इस दौरान पीएम मोदी ईश्वरीपुर गांव स्थित प्रचीन जेशोरेश्वरी काली मंदिर भी जाएंगे, जहां पहले से ही साज-सज्जा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसकी गिनती हिन्दू धर्म में वर्णित 51 शक्तिपीठों में से एक के तौर पर की जाती है। भारत-बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक-सांस्कृतिक संबंधों की दृष्टि से इसकी अपनी खास अहमियत है।
पीएम मोदी का यह दौरा भारत-बांग्लादेश के संबंधों को लेकर कई मायनों में खास है। दोनों पड़ोसी मुल्क जिस तरह से सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं, उसे देखते हुए यह दौरा और भी अहम हो जाता है। इस क्रम में फेनी नदी पर बने 'मैत्री सेतु' का जिक्र भी खास तौर पर प्रासंगिक होगा, जिसे भारत-बांग्लादेश संबंधों में 'मील का पत्थर' समझा जाता है और कहा जाता है कि यह दोनों देशों के संबंधों को एक नई ऊंचाई प्रदान करने वाला होगा।
भारत को बांग्लादेश से जोड़ने वाला पुल
भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाला यह पुल करीब 1.9 मीटर लंबा है, जो दक्षिणी त्रिपुरा के सबरूम से शुरू होकर बांग्लादेश के रामगढ़ तक जाता है। दोनों देशों के राजनयिक और सामरिक संबंधों में बेहद अहम समझे जाने वाले इस पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से 9 मार्च को किया था, जिसके करीब तीन सप्ताह बाद बांग्लादेश की आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर उनका यहां दौरा हुआ है।
भारत-बांग्लादेश के आर्थिक हितों की लिहाज से भी इस 'मैत्री सेतु' को काफी अहम समझा जाता है, जो बांग्लादेश के चिटगांव बंदरगाह को भी जोड़ेगा और इससे त्रिपुरा के दक्षिणी छोर पर स्थित सबरूम से चिटगांव बंदरगाह की दूरी महज 80 किलोमीटर रह जाएगी। यह दोनों ओर से कारोबार को बढ़ावा देने वाला साबित होगा तो जनसंपर्क का भी एक बेहतर माध्यम साबित होगा और दोनों देशों के लोगों को आने-जाने में काफी सहूलियत होगी।
आर्थिक हितों की दृष्टि से बेहद अहम
इस मैत्री सेतु के जरिये पूर्वोत्तर भारत के किसान और व्यवसायी अपना सामान बांग्लादेश आसानी से ले जा सकते हैं तो वहां से सामान अपने देश में ला भी सकते हैं। मौजूदा समय में भारत-बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात की बात करें तो भारत जहां बांग्लादेश से कागज, रेडीमेड कपडे, धागा, नमक और मछली का आयत करता है, वहीं बांग्लादेश प्याज, सूत, कपास और मशीनों के कलपुर्जे जैसी चीजें भारत से मंगाता है।
भारत-बांग्लादेश के बीच इस मैत्री पुल की अहमियत बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के उस बयान से भी समझी जा सकती है, जिसमें उन्होंने इस मैत्री पुल के उद्घाटन को जहां ऐतिहासिक क्षण करार दिया, वहीं यह क्षेत्र में संपर्क के साधनों को और मजबूत करेगा। फेनी पर इस 'मैत्री सेतु' के निर्माण का प्रस्ताव 2010 में त्रिपुरा के तत्कालीन मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने केंद्र सरकार के सामने रखा था, जिस पर निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था। इसका निर्माण लगभग 133 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।