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Malabar Phase-2: समुद्र में आज से फिर ताकत दिखाएंगी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान की नौसेनाएं

Updated Nov 17, 2020 | 07:17 IST

Malabar Exercise 2020: मालाबार युद्धाभ्यास का पहला चरण तीन से छह नवंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ और इस दौरान पनडुब्बी युद्ध और समुद्र से हवा में मार करने की क्षमता का अभ्यास किया गया।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
उत्तरी अरब सागर में आज से मालाबार फेज-2।

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना के युद्धाभ्यास ‘मालाबार’का दूसरा चरण मंगलवार को उत्तरी अरब सागर में शुरू होगा। इसमें भारतीय नौसेना का विक्रमादित्य विमानवाहक पोत, अमेरिकी विमान वाहक पोत निमित्ज और ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेना की अग्रिम मोर्चो पर तैनात पोत चार दिन तक सघन युद्धाभ्यास करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस युद्धाभ्यास के दौरान ‘क्वाड’ समूह के देशों की नौसेनाओं द्वारा मिलकर कार्य करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए समन्वित अभियान का अभ्यास किया जाएगा।

पहला चरण बंगाल की खाड़ी में हुआ
उल्लेखनीय है कि मालाबार युद्धाभ्यास का पहला चरण तीन से छह नवंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ और इस दौरान पनडुब्बी युद्ध और समुद्र से हवा में मार करने की क्षमता का अभ्यास किया गया। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब गत छह महीने से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध चल रहा है जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आया है।

17 से 20 नवंबर तक चलेगा यह सैन्याभ्यास
नौसेना ने एक बयान में बताया, ‘मालाबार युद्धाभ्यास का दूसरा चरण उत्तरी अरब सागर में 17 से 20 नवंबर के बीच होगा।’ बयान के मुताबिक अभियान के केंद्र में विक्रमादित्य विमान वाहक पोत और निमित्ज पोत पर तैनात युद्ध समूह होगा। नौसेना ने कहा कि यह युद्धाभ्यास समुद्री मुद्दे पर चार जीवंत लोकतांत्रिक देशों के बीच समन्वय बढाने के लिए और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला, समावेशी और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दिखाने के लिए है।

यूएसएस निमित्ज दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत
एक अधिकारी ने पहचान गोपनीय रखते हुए बताया कि इस युद्धाभ्यास में परमाणु ईंधन से संचालित यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व में अमेरिकी हमलावर समूह हिस्सा लेगा जिससे अभ्यास के प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यूएसएस निमित्ज दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत है। यह युद्धक समूह विशाल नौसेना बेड़ा है जिसमें विमान वाहक पोत के साथ-साथ बड़ी संख्या में डेस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और अन्य पोत शामिल हैं।

चार दिनों तक चलेगा समुद्री अभियान
इस युद्धाभ्यास में निमित्ज के साथ क्रूजर प्रिंसटन और डेस्ट्रॉयर स्टरेट और पी8एम समुद्री टोही विमान शामिल होंगे। ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का प्रतिनिधित्व फ्रिगेट बल्लार्ट और हेलीकॉप्टर करेंगे। भारतीय नौसेना ने बताया, ‘दो विमान वाहक पोतों के साथ अन्य पोत, पनडुब्बी और विमान अभ्यास में शामिल होंगे और चार दिनों तक गहन समुद्री अभियान को अंजाम देंगे।’

लड़ाकू विमान भी लेंगे हिस्सा
नौसेना ने बताया कि युद्धाभ्यास में ‘क्रॉस डेक फ्लाइंग ऑपरेशन और विक्रमादित्य पर तैनात मिग-29 के और निमित्ज पर तैनात एफ-18 लड़ाकू विमान और ई2सी हॉकआई के जरिये हवाई रक्षा का अभ्यास किया जाएगा। इसके अलावा पनडुब्बी युद्ध का भी अभ्यास किया जाएगा। आईएनएस विक्रमादित्य के अलावा हवाई इकाई के हेलीकॉप्टर, डेस्ट्रॉयर कोलकाता और चेन्नई, स्टील्थ फ्रिगेट तलवार और सहायक पोत दीपक भी इस युद्धाभ्यास में भारत की ओर से शामिल होंगे।

पनडुब्बियां दिखाएंगी करतब
भारतीय दल का नेतृत्व रियर एडमिरल और पश्चिमी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कृष्ण स्वामीनाथन करेंगे। मालाबार युद्धाभ्यास के दूसरे चरण में देश में ही निर्मित पनडुब्बी खंडेरी और पी8आई समुद्री टोही विमान भी भारतीय नौसेना की ओर से अपनी क्षमता का परिचय देंगे। उल्लेखनीय कि पिछले महीने भारत ने ऑस्ट्रेलिया के भी मालाबार युद्धाभ्यास में शामिल होने की घोषणा की थी, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य विस्तार का मुकाबला करने के लिए इसे क्वाड के चार सदस्य देशों का अभ्यास बना दिया।

चीन को जवाब
चीन मालाबार युद्धाभ्यास के उद्देश्य को लेकर सशंकित रहता है और महसूस करता है कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए है। गौरतलब है कि मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत 1992 में अमेरिका के साथ हिंद महासागर में द्विपक्षीय युद्धाभ्यास के तौर पर हुई थी। वर्ष 2015 में जापान इस युद्धाभ्यास का स्थायी हिस्सा बना।

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