- नंदीग्राम सीट पर सुवेंदु अधिकारी और ममता के बीच सियासी जंग तेज हुई
- बंगाल में विस की 294 सीटों के लिए इस बार आठ चरणों में हो रही वोटिंग
- हिंदू बहुल सीट है नंदीग्राम, पिछली बार इस सीट पर सुवेंदु अधिकारी हुए विजयी
नई दिल्ली : नामांकन दाखिल करने के लिए नंदीग्राम पहुंचीं तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनका भी हिंदू परिवार में जन्म हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन्हें धर्म मत सिखाए। अपने दो दिनों के नंदीग्राम दौरे के दौरान ममता करीब 22 मंदिरों में गईं और पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया। मंच से उन्हें 'चंडीपाठ' करना पड़ा और हल्दिया में पर्चा दाखिल करने से पहले शिव मंदिर गईं। बंगाल चुनाव में हिंदू वोटरों को आकर्षित करने की जद्दोजहद तेज हो गई है। हिंदू वोटरों को रिझाने की ममता की पहल इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।
हिंदुत्व के मुद्दे पर आक्रामक है भाजपा
राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर भाजपा जिस तरह से आक्रामक हुई है, उससे ममता बनर्जी थोड़ी बैकफुट पर आ गई हैं। भाजपा उन पर मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने का आरोप लगाती रही है। ममता बनर्जी ने कुछ ऐसे फैसले किए जो भाजपा के तुष्टिकरण के आरोपों को सही साबित करते हुए लगी। राज्य में मौलवी और अजान देने वालों को भत्ता देने की घोषणा को वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखा गया। दुर्गा पूजा एवं सरस्वती पूजा को लेकर उनके राज्य में हिंदुओं को नागवार गुजरे।
मुस्लिम वोटर्स टीएमसी के साथ
दरअसल, ममता बनर्जी को इस विस चुनाव में इतनी कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद नहीं थी। पश्चिम बंगाल में करीब 70 फीसदी हिंदू और 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 50 प्रतिशत से ज्यादा हिंदुओं का वोट पाने में सफल रही। इसी के चलते वह 18 सीटें जीतने में सफल हुई। जबकि मुस्लिम वोट जो कभी कांग्रेस और लेफ्ट के वोटर थे उन्होंने एकजुट होकर टीएमसी के पक्ष में मतदान किया। मुस्लिमों का टीएमसी के साथ जाना ममता के लिए वरदान साबित हुआ और टीएमसी ने 22 सीटों पर कब्जा बनाया। भाजपा जानती है कि बंगाल में यदि उसे अपनी सरकार बनानी है तो उसे हिंदू वोटरों को अपने पक्ष में करना होगा।
पीरजादा सिद्दिकी ने बिगाड़ा चुनावी समीकरण
ममता बनर्जी को 'हिंदू कार्ड' खेलने के पीछे एक बड़ी वजह फुरफुरा शरीफ की पीरजादा अब्बास सिद्दिकी और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी हैं। सिद्दिकी लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के साथ हैं। उनका सैकड़ों मस्जिदों पर प्रभाव है और लाखों मतदाता उनके समर्थक हैं। ओवैसी अभी खुलकर मैदान में नहीं आए हैं। देर-सबेर वह भी कोई दांव चल सकते हैं। ऐसे में ममता को डर है कि पीरजादा और ओवैसी ने उनके मुस्लिम वोट बैंक में अगर सेंधमारी की तो उनका चुनावी समीकरण बिगड़ जाएगा। मुस्लिम वोटों के छिटकने का साधा फायदा भाजपा को मिलेगा। इसीलिए वह, हिंदू वोटरों में अपनी पकड़े मजबूत करने और पैठ बनाने के लिए बार-बार मंदिरों का दर्शन कर रही हैं।
हिंदू बहुल सीट है नंदीग्राम
ममता नंदीग्राम से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला कभी उनके भरोसेमंद रहे सुवेंदु अधिकारी से है। नंदीग्राम हिंदू बहुल सीट है। पिछले विस चुनाव में अधिकारी इस सीट से 80 हजार से ज्यादा सीटों से विजयी हुए। इस सीट पर करीब ढाई लाख वोटर हैं जिनमें हिंदू मतदाताओं की संख्या करीब 1.9 लाख और मुस्लिम वोटरों की संख्या 62000 के करीब है। जाहिर है कि ममता को अगर इस सीट पर जीत दर्ज करनी है तो उन्हें बड़ी संख्या में हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करना होगा। सुवेंदु नंदीग्राम सीट से विधायक हैं। उन्होंने कहा कि इस बार वह ममता बनर्जी को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराएंगे।
नंदीग्राम में पिछड़ना नहीं चाहतीं ममता
भाजपा इस सीट को जीतने के लिए दमखम लगा रही है, उससे ममता की राह में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। इस सीट पर अगर ममता पिछड़ती हुई दिखीं तो राज्य में अगले चरण में होने वाले चुनावों पर इसका असर दिख सकता है। इसलिए, ममता किसी भी हालत में नंदीग्राम सीट पर कमजोर पड़ता नहीं दिखना चाहती। इसलिए उन्हें यह कहना पड़ा कि वह भी हिंदू की बेटी हैं। वह किसी न किसी बहाने हिंदू वोटरों के बीच जा रही हैं। नंदीग्राम का चुनाव नतीजा बहुत हद तक ममता का राजनीतिक भविष्य तय करेगा।