- 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमत्री इंदिरा गांधी के हत्या के बाद सिख-विरोधी दंगे हुए थे
- इन दंगों में 3000 से ज्यादा मौतें हुई थी। 2700 करीब लोग दिल्ली में मारे गए थे
- दंगों पर राजीव गांधी ने कहा था- जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख दंगों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हा राव ने इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर काम किया होता तो दिल्ली में 1984 के सिख नरसंहार से बचा जा सकता था। बुधवार को राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्री गुजराल की 100वीं जयंती के अवसर पर समारोह में बोलते हुए मनमोहन सिंह ने ये बात कही।
मनमोहन सिंह ने कहा, 'गुजराल जी इतने चिंतित थे कि वह उस समय के गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे। स्थिति इतनी गंभीर थी कि सरकार के लिए जल्द से जल्द सेना को बुलाना आवश्यक था। अगर उस सलाह पर ध्यान दिया जाता तो शायद 1984 के नरसंहार से बचा जा सकता था।'
सिख सुरक्षाकर्मियों के हाथों तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिसमें करीब 3,000 सिखों की जान चली गई। दिल्ली में दंगों का असर सबसे ज्यादा था। कहा जाता है कि 3000 में से 2700 सिखों की हत्या दिल्ली में ही हुई थी। स्वतंत्र स्रोतों से अनुमान है कि मौतों की संख्या लगभग 8,000-17,000 है।
सीबीआई की राय में ये सभी हिंसक कृत्य दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहमति से आयोजित किए गए थे। राजीव गांधी ने अपनी मां की मौत के बाद प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। जब उनसे दंगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, 'जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है।'