- पीएम मोदी ने शहीद वीर भगत सिंह को याद किया
- शहीद भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान और चिंतक भी थे
- गांधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से देश को संबोधित किया। पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे 'मन की बात' कार्यक्रम करते हैं। इसमें पीएम मोदी अपने मन की बात देश के लोगों के सामने रखते हैं। ये मन की बात कार्यक्रम का 69 वां एपिसोड है।
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज जब द गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है।
ऐसे समय में हमें जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने कहानी सुनाने की जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और ऐसी विधायें जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो, जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें।
भारत में कहानी कहने की एक समृद्ध परंपरा रही है, हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं जहाँ हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है। हमारे देश की कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके, ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है।
भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है, इन दिनों साइंस और साइंस फिक्शन से जुड़ी कहानियाँ एवं उसे कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है, कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं। मैं आग्रह करूंगा कि परिवार में हर सप्ताह आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालें और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जिस दिन परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक-एक कहानी कहेंगे।
कोरोना के इस कठिन समय में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है, ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। हरियाणा के सोनीपत जिले के किसान श्री कंवर चौहान ने बताया कि 2014 में फल और सब्जियों को APMC एक्ट से बाहर करने के बाद उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ।