नई दिल्ली : नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ असम व पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में जारी तनाव के बीच मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसे लोगों से देश छोड़कर उत्तर कोरिया चले जाना चाहिए, जो 'विभाजनकारी लोकतंत्र' नहीं चाहते। वहीं, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार के पास इस नए कानून को लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
पहले भी अपने कई विवादास्पद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे मेघालय के राज्यपाल ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि लोकतंत्र अनिवार्य रूप से 'विभाजनकारी' है और अगर कोई ऐसा नहीं चाहता तो उसे उत्तर कोरिया चले जाना चाहिए। मेघालय के राज्यपाल ने हालांकि अपने ट्वीट में नागरिकता संशोधन अधिनियम का जिक्र नहीं किया है, पर इसे परोक्ष रूप से इस नए कानून को उनके समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने 'विवाद के मौजूदा माहौल' का हवाला दिया है।
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, 'विवाद के मौजूदा माहौल में दो बातों को कभी नहीं भूलनी चाहिए- 1. देश को कभी धर्म के नाम पर विभाजित किया गया था। 2. लोकतंत्र अनिवार्य रूप से विभाजनकारी है। अगर आप इसे नहीं चाहते तो उत्तर कोरिया चले जाइये।'
उनका यह ट्वीट ऐसे समय में आया है, जबकि नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ पूर्वोत्तर उबल रहा है, जिसकी आंच मेघालय तक भी पहुंची है। मेघालय में उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए राजधानी शिलॉन्ग के कई हिस्सों में गुरुवार को कर्फ्यू लगा दिया गया था। हालांकि तमाम प्रतिबंधों को धता बताते हुए प्रदर्शनकारी लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को राजभवन के सामने भी प्रदर्शन किया, जहां उन पर लाठीचार्ज भी हुआ।
इधर, पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और ममता सरकार के बीच एक बार फिर ठनी नजर आ रही है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर विवाद के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि प्रदेश के पास संशोधित नागरिकता कानून को लागू करने के अलावे कोई विकल्प नहीं है। उनका यह बयान सीएम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान से बिल्कुल उलट है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पश्चिम बंगाल में न तो एनआरसी को लागू करेगी और न ही संशोधित नागरिकता कानून को अपनाया जाएगा।