- चीन, अफगानिस्तान, जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन निर्यात जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच अहम बातचीत हो सकती है।
- अमेरिका का भारत के साथ रक्षा व्यापार 2020 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।
- ड्रोन, एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और दूसरे रक्षा सौदोंं पर आगे बढ़ सकती है बात
नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आज मुलाकात होने वाली है। 20 जनवरी को बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली व्यक्तिगत बैठक है। ऐसे में भारत को उम्मीद है कि अमेरिका और भारत के संबंध ट्रंप सरकार के समय से आगे बढ़ेंगे और संरक्षणवाद की ट्रंप नीति को बाइडेन नए नजरिए से देखेंगे। अमेरिका की यात्रा शुरू करने से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह राष्ट्रपति बाइडेन के साथ भारत-अमेरिका की व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करेंगे । और दोनों देशों के हितों को लेकर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
वहीं विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने भी कहा है कि पीएम मोदी और बाइडेन भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और उसे बहुमुखी बनाने की समीक्षा करेंगे। साथ ही दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा अफगानिस्तान घटनाक्रम के बाद खड़ी हुई क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा दोनों करेंगे।
इसके अलावा कोविड-19 महामारी को रोकने के चल रहे प्रयासों के एक हिस्से के रूप में, वे क्वाड वैक्सीन पहल की समीक्षा भी दोनों देश करेंगे। जिसका ऐलान इस साल मार्च में किया गया था। दोनों देश इसके अलावा महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकी, कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता/आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा के मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला के बयानों से साफ है कि मोदी और बाइडेन की मीटिंग का एजेंडा क्या है। ऐसे में साझा बयान में कई अहम ऐलान हो सकते हैं..
कोविड वैक्सीन के लिए कच्चे माल की जरूरत
भारत ने कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए अप्रैल 2021 में भारत के कोविड वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि अब सरकार ने कहा है कि भारत अक्टूबर से वैक्सीन निर्यात फिर से शुरू करेगा। इसी महीने ग्लोबल कोविड -19 शिखर सम्मेलन में, पीएम मोदी ने कहा था कि भारत वैक्सीन उत्पादन को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि वैक्सीन के कच्चे माल की सप्लाई चेन खोली जाय, जिससे वह वैक्सीन उत्पादन को बढ़ा सके और अन्य देशों को निर्यात फिर से शुरू कर सके। असल में भारतीय फॉर्मा वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग में कच्चे माल के लिए अमेरिका पर निर्भर हैं।
रक्षा क्षेत्र
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की वेबसाइट के अनुसार 2016 में अमेरिका ने भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार घोषित किया। और उसी के अनुरूप, 2018 में, भारत को टियर 1 स्टेट्स का दर्जा दिया गया। इसके जरिए भारत की रक्षा हथियारों तक पहुंच आसानी हुई और भारत के साथ रक्षा व्यापार 2020 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। भारत इस समय ड्रोन क्षेत्र , परिवहन विमान और वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम शामिल जैसी डील करना चाहता हैं। इसके अलावा भारत चाहता है कि दोनों देशों के संबंध संयुक्त विकास के दायरे में आगे बढ़े और टेक्नोलॉजी हासिल करने में भारत को मदद मिल सके।
पाक-चीन और अफगानिस्तान
एक सैन्य शक्ति के रूप में चीन के उदय ने चिंता और अनिश्चितता को जन्म दिया है। खास तौर से दक्षिण चीन सागर में चीन की साम्राज्यवादी रुख ने क्षेत्रीय शांति को लेकर कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में क्वाड देशों- अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान की बैठक काफी अहम होने वाली है। इसके जरिए भारत और अमेरिका द्वारा एक 'स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने की उम्मीद है।
इसी तरह अफगानिस्तान में जिस तरह तालिबान की सत्ता में वापसी हुई और पाकिस्तान-चीन का दखल बढ़ा है। वह भी नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन की बैठक में अहम मुद्दा रहेगा। खास तौर से अस्थिर तालिबान की वजह से आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने का सबसे बड़ा खतरा है। जिसका भारत पर असर हो सकता है। ऐसे में आंतकवाद को लेकर दोनो देश रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की बात कह सकते हैं। इसके अलावा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने जिस तरह पाकिस्तान पर दो टूक बातें कही हैं, उससे उम्मीद है कि जो बाइडेन भी पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन
बाइडेन के सत्ता में आने के बाद अप्रैल 2021 में दोनों देशों ने -'यूएस-इंडिया क्लाइमेट एंड क्लीन एनर्जी एजेंडा 2030 पार्टनरशिप' लॉन्च किया है। यह साझेदारी 2015 में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आपसी सहयोग की अवधारणा पर विकिसित की गई है। इसके लक्ष्य को पाने के लिए दोनों देश ग्रीम हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने से लेकर दूसरे अहम मुद्दों पर मिलकर काम करेंगे।
इन अहम मुद्दों के अलावा दोनों देश कनेक्टिविटी, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता/आपदा राहत, शिक्षा क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने का ऐलान कर सकते हैं। खास तौर से 5 जी तकनीकी और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद ग्लोबल शैक्षणिक संस्थाओं को लेकर कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं।
एजेंसी इनपुट के साथ