- आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति को, स्टैच्यू ऑफ वननेस का नाम दिया गया है।
- पूरी परियोजना पर 2000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, और हर रोज 50 हजार पर्यटक के आधार पर उसे डिजाइन किया जा रहा है।
- आदि गुरू शंकराचार्य 8 वर्ष की उम्र में ओंकारेश्वर आए थे। जहां पर उन्होंने अपने गुरू से शिक्षा ली थी।
मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में राज्य सरकार करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत से, आदि गुरू शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची मूर्ति सहित (स्टैट्यू ऑफ वननेस), म्यूजिम, अंतरराष्ट्रीय वेदांत संस्थान की स्थापना करने जा रही है। इस पूरी परियोजना का उद्देश्य क्या है और इसके जरिए पर्यटन को कैसे बढ़ावा मिलेगा। इस पर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल ने मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला से बातचीत की है। पेश है प्रमुख अंश:
शंकराचार्य के जीवन में क्या है ओंकारेश्वर का महत्व
आदि गुरू शंकराचार्य 8 साल की उम्र में केरल से ओंकारेश्वर पहुंचे थे। जहां उन्होंने अपने गुरू गोविंद भगवत पाद से दीक्षा ली। नर्मदा के किनारे जिस गुफा में उन्होंने शिक्षा ली, वह आज भी मौजूद है। और वहीं से उन्होंने आगे की यात्रा शुरू की और सनातन धर्म को नई राह दिखाई। उस समय न केवल उन्होंने सनातन धर्म में बढ़ रहे विभेद को दूर किया बल्कि आज भी उनके दिखाए रास्ते पर सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है। उनके योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जो काम बहुत पहले हो जाना था, वह अब किया जा रहा है। इसी महत्ता को देखते हुए ओंकारेश्वर में उनकी प्रतिमा के साथ-साथ कई अहम केंद्र बनाए जा रहे हैं।
108 फुट ऊंची मूर्ति बनेगी
योजना के तहत आदि गुरू शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची मूर्ति बनाई जाएगी। एक मल्टी मीडिया आधारित म्यूजियम बनाए जाएगा। जहां पर आचार्य शंकराचार्य की शिक्षाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा लाइट एंड साउंड शो का भी आयोजन होगा। जहां पर जगत गुरू शंकराचार्य की शिक्षाओं को साधारण भाषा में बच्चों से लेकर बड़ों को आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया जाएगा।
ये भी पढ़ें: Interview: मैसूर के इस शिल्पकार ने बनाई शंकराचार्य की मूर्ति, कृष्णा शिला, नारियल,11 महीने की मेहनत का है नतीजा
इसके अलावा नर्मदा में एक नौका विहार केंद्र भी बनाया जाएगा। जिसमें अमरकंट से लेकर भरूच तक की यात्रा कराई जाएगी। साथ ही एक इंटरनेशनल सेंटर की स्थापना की जाएगी। जहां रिसर्च और शिक्षा से लेकर दूसरे अहम काम किए जाएंगे। साथ ही आचार्य शंकर की शिक्षा को विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत किया जाएगा। आचार्य शंकर के 4 प्रमुख शिष्यों के नाम पर केंद्र भी बनाए जाएंगे। जहां पर मॉडर्न साइंस, सोशल साइंस, संगीत और कला पर रिसर्च किए जाएंगे।
2023 में लोकार्पण की तैयारी
पूरी परियोजना के लिए डीपीआर तैयार हो गया है, और उस पर करीब 2000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सरकार की योजना है कि इसे अगले डेढ़ साल यानी 2023 में तैयार कर लिया जाय। सरकार का अनुमान है प्रतिदिन 50 हजार पर्यटक आएंगे। और उसी आधार पर केंद्र को डिजाइन किया गया है। इसी तरह एक बार में 5000 लोग लाइट एंड शो देख सकेंगे। साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे
ये भी पढ़ें: Bihar का ऐतिहासिक शंकराचार्य मठ जहां मौजूद है 13वीं सदी की पांडुलिपियां