- बिहार के बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजद की जीत
- मुकेश सहनी की पार्टी ने दिखाया दम, हासिल किए 29 हजार से अधिक मत
- अपनी हार के बाद भी खुश दिखे सहनी, बीजेपी की स्थानीय लीडरशीप पर साधा निशाना
मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां (सुरक्षित) उपचुनाव में भले ही आरजेडी प्रत्याशी अमर पासवान ने जीत (Bochahan By Election Result) दर्ज कर ली हो लेकिन सबसे ज्यादा खुशी वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी है। यहां बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है जबकि वीआईपी यानि विकासशील इंसान पार्टी तीसरे नंबर पर रही। मुकेश सहनी अपनी हार के बावजूद खुश नजर आए और उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी के स्थानीय नेताओं पर निशाना साधा।
बीजेपी पर निशाना
बीजेपी का नाम लिए बगैर निशाना साधते हुए सहनी ने कहा कि बोचहां की जनता ने छल कपट करने वाली पार्टी को परास्त कर साबित कर दिया कि लोकतंत्र में अहंकार की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता ने इतने मत देकर साबित कर दिया कि वीआईपी पार्टी के साथ जो व्यवहार किया गया वो गलत था। सहनी ने कहा कि बोचहां उपचुनाव में 29,279 (करीब 18 फीसदी) वोट देकर अति पिछड़ा, निषाद समाज ने साबित कर दिया कि वे वीआइपी के महज वोटर ही नहीं हैं बल्कि पार्टी की ताकत हैं।
वरना बीजेपी को लगेगा 2024 में झटका
मुकेश सहनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हम जनता को विकासशील इंसान पार्टी (बोचहां विधानसभा उपचुनाव के लिए) में विश्वास दिखाने के लिए धन्यवाद देते हैं। हमने जीतने के लिए चुनाव लड़ा और सफल नहीं हुए लेकिन हम अमर पासवान जी (राजद) को जीत के लिए बधाई देते हैं। हमारी हार में भी जीत है। इस बार, भाजपा को 36,000 से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा है। कुछ राज्य के नेताओं के पास अभी भी कुछ करने का समय है क्योंकि वे केंद्रीय भाजपा नेताओं को गुमराह करते हैं; इसी तरह 2024 या 2025 में बीजेपी को और झटके लगेंगे। बीजेपी बिहार अध्यक्ष संजय जायसवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए।'
सहनी की पार्टी का दमदार प्रदर्शन
बिहार में बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के युवा उम्मीदवार अमर पासवान ने शनिवार को अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी व भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी बेबी कुमारी को 36,658 से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया। मुकेश सहनी की पार्टी VIP की उम्मीदवार गीता कुमारी को 29,279 वोट मिले। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर 2020 में मुसाफिर इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे जिनकी बाद में मौत हो गई थी। वीआईपी करीब एक महीने पहले तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रही थी। यह चुनाव राजग के लिए इसलिए भी झटका है क्योंकि वीआईपी पहले उसका हिस्सा थी और अगर दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो शायद तस्वीर कुछ और होती।
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