नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में किसी भी बच्चे की हत्या के सबूत नहीं मिले। CBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले सहित सभी 17 आश्रय घरों के मामलों की जांच पूरी हो गई है। मुजफ्फरपुर के आश्रय गृह में किसी भी लड़की की हत्या नहीं की गई थी और जो कंकाल मिले थे, वे उनके नहीं थे। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में जिन बच्चियों की हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया था, वे बाद में जिंदा मिलीं।
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले पर सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। सीबीआई ने कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में बच्चों के बलात्कार, यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की गई और संबिधित अदालतों में आरोपपत्र दायर किए गए।
सीबीआई ने बिहार में 17 आश्रय गृहों के मामलों की जांच की और इनमें से 13 में आरोप पत्र दायर किए जबकि चार मामलों की शुरुआती जांच की गई और सबूत नहीं मिलने के कारण जांच बाद में बंद कर दी गई।
इससे पहले आरोप लगाए गए थे कि कई लड़कियों के साथ न केवल बलात्कार किया गया, बल्कि उन्हें मारकर आश्रय गृह में दफनाया गया। अपनी जांच के दौरान सीबीआई ने निष्कर्ष निकाला कि चार आश्रय घरों के सभी बच्चों को जीवित पाया गया। सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में यह भी कहा कि किसी भी आपराधिक अपराध को साबित करने वाले किसी भी तरह के सबूत को इकट्ठा नहीं किया जा सकता है और इस तरह की कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
जांच एजेंसी CBI की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हत्या का कोई सबूत नहीं है और पाया गया कि हड्डियां किसी अन्य वयस्कों की थीं।
मार्च 2018 में ये मामला सामने आया था। ये शेल्टर होम बिहार पीपुल्स पार्टी (BPP) के पूर्व विधायक बृजेश ठाकुर द्वारा संचालित था। शेल्टर होम में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज, मुंबई की ओर से करवाए गए सर्वेक्षण के बाद पेश सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक शेल्टर होम में बच्चियों के साथ न केवल बलात्कार हुआ बल्कि यहां लड़कियां प्रेग्नेंट भी हुईं। नीतीश सरकार की मंत्री मंजू वर्मा का नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर से मंजू वर्मा के पति की जनवरी से करीब 17 बार बात हुई थी।