- 19 नवंबर को नगरोटा में मुठभेड़ के दौरान जेएएम के 4 आतंकी ढेर
- ट्रक में छिपकर जा रहे थे आतंकी
- जैश के आतंकवादियों को दिया गया था आत्मसमर्पण का मौका
नई दिल्ली: नगरोटा मुठभेड़ मामले की जांच के बाद नए सबूतों से पता चलता है कि एनकाउंटर में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के चार आतंकवादी पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स के साथ लगातार संपर्क में थे। सूत्रों ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के संजय खजूरिया को बताया कि जांच एजेंसियों ने कुछ मैसेजेस को फिर से प्राप्त किया। माना जाता है कि ये मैसेज आतंकियों को पाकिस्तान से उनके हैंडलर्स ने भेजे थे। ये मैसेज उस मोबाइल फोन से मिले, जो उस ट्रक से बरामद हुआ, जिसमें चारों आतंकी जम्मू-कश्मीर में यात्रा कर रहे थे।
कुछ मैसेजेस सामने आए हैं, जैसे- कहां पहुंचे, क्या सुरते हाल है, कोई मुश्किल तो नहीं। एक मैसेज है, जिसमें लिखा है- 2 बजे। एक है- कहां पहुंचे। एक मैसेज है कि फिर बता देना।
सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान निर्मित डिजिटल रेडियो, मोबाइल हैंडसेट (मॉडल MPD-2505), पाकिस्तानी सिम कार्ड, एक वायरलेस सेट, एक जीपीएस डिवाइस और जूते सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए। सुरक्षाबलों ने कराची निर्मित दवाओं और अन्य वस्तुओं को भी बरामद किया, जिसमें स्पष्ट होता है कि आतंकियों की घुसपैठ में पाकिस्तान का हाथ है।
आतंकियों का हैंडलर था मसूद अजहर का भाई
ये भी जानकारी सामने आई है कि आंतकियों में जो हैंडलर था वो मसूद अजहर का भाई था। जिस शख्स को पूरे आतंकी ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई थी वो कोई और नहीं बल्कि जैश सरगना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रऊफ असगर था। अब्दुल रऊफ असगर ने पीओके स्थित शकरगढ़ कैंप से चार आतंकियों का चुनाव किया। असगर के साथ साथ काजी तरार को भी योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी, काजी तरार भी जैश के टॉप रैंक कमांडरों में शामिल था। भारत में आतंकी वारदात को अंजाम दिए जाने से पहले इन दोनों की जैश के मुख्यालय बहावलपुर में एक बैठक हुई थी जिसमें मौलाना अबु जुंदाल के साथ साथ मुफ्ती तौसीफ शामिल और आईएसआई के दो बड़े अधिकारी भी शामिल हुए।