- कोरोना के खिलाफ जंग में भारतीय संस्कृति की परंपरा नमस्ते की दुनिया भर में चर्चा हुई
- कोरोना वायरस को हराने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है
- कोरोना से दुनिया भर में 2,50,500 लोगों की अबतक जान जा चुकी है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पूरी दुनिया परेशान है। जहां एक तरफ इससे बचने का किसी को कोई रास्ता नहीं दिख रहा तो दूसरी तरफ इसके टीका कब बनेगा यह भी अभी तक साफ नहीं है। कोरोना का कहर कब थमेगा यह कहना बेहद मुश्किल है। लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट आई है जो भारतीय संस्कृति की नमस्ते करने की परंपरा को सलाम करती नजर आती है। इस रिपोर्ट में नमस्ते के बारे में यह कहा गया है कि हाथ जोड़कर नमस्ते करने से कोविड-19 से बचने की उम्मीद ज्यादा है इसलिए यह कारगर हथियार के रुप में उभरकर सामने आया है।
नमस्ते करने की परंपरा
नमस्ते करने की परंपरा भारत से उपजी है। दरअसल यह परंपरा कितनी पुरानी है इसका ठीक-ठीक विवरण कहीं भी नहीं मिलता है। लेकिन यह भी सच है कि यह भारतीय परंपरा दुनिया भर में पोपुलर है। विदेशों में अभिवादन की परंपरा हैलो,हाय, किस कर या फिर गले लगाकर किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार नमस्ते कर अभिवादन करते देखे गए हैं। कोरोना काल में भारत की इस परंपरा को विदेश के कई राष्ट्राध्याक्षों तक ने अपनाया। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह नमस्ते करते दिख रहे हैं। सामने वाले को हाथ जोड़कर नमस्ते और फिर दूसरे व्यक्ति का वैसा ही प्रत्युत्तर। यह परंपरा सनातन धर्म की है जो सदियों पुरानी है और अबतक चली आ रही है। कोरोना वायरस के दशहत को देखते हुए दुनिया के कई देशो में यह पोपुलर हो गया।
'हाथ जोड़कर नमस्ते करने से कोविड-19 से बचने की उम्मीद अधिक'
दी कोविड-19 रिडल : वाय डज द वायरस वैलॉप सम प्लेसिज एंड स्पेयर अदर्स की इस रिपोर्ट में दुनियाभर में कोरोना वायरस से बचने के लिए भारत में एक-दूसरे को अभिवादन करने का तरीका ‘नमस्ते’ दूसरे देशों के अभिवादन के तरीके से अधिक कारगर साबित हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभिवादन की इस परंपरा से सोशल डिस्टेंशिंग अपने आप हो जाती है। लिहाजा वायरस फैलने का खतरा नहीं होता है और इससे वायरस से बचने के एक महत्वपूर्ण नियम सामाजिक दूरी बनाए रखने का उल्लंघन भी नहीं होता है। न्यूयार्क टाइम्स में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस ने धरती पर लगभग हर जगह अपना प्रकोप दिखाया है। न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन जैसे महानगरों में जहां इससे तबाही मची है वहीं बैंकॉक, बगदाद, नयी दिल्ली, लागोस जैसे शहरों में स्थिति अब तक उतनी खराब नहीं हुई है।
कोरोना की लड़ाई में अचूक हथियार बना नमस्ते
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी विशेषज्ञों ने कहा कि सांस्कृतिक कारक, जैसे कि सामाजिक दूरी बनाना जो कुछ समाजों में पहले से जारी है, इससे कुछ देश अधिक सुरक्षित हैं। थाईलैंड और भारत में जहां वायरस के मामले तुलनात्मक रूप से कम है वहां लोग एक-दूसरे का अभिवादन दोनों हाथ जोड़कर ‘नमस्ते’ करके करते हैं। वहीं जापान और दक्षिण कोरिया में भी कोरोना वायरस आने से काफी समय पहले से लोग सिर झुकाकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं और थोड़ा भी बीमार होने पर उन्हें मास्क पहनने की आदत है।
ढाई लाख लोगों ने कोरोना से अबतक गंवाई है जान
गौर हो कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के 35 लाख से अधिक मामले हैं और करीब 2,50,500 लोगों की इससे जान जा चुकी है।जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) द्वारा सोमवार सुबह जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, महामारी से वैश्विक तौर पर अब तक कुल 35 लाख सात हजार 53 लोग संक्रमित हुए है। वहीं, मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख 47 हजार 107 हो गया है।