नरेंद्र दामोदार दास मोदी भारतीय राजनीति का ऐसा नाम जिसने सियासत का चाल चरित्र और चेहरा बदल दिया। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद इस व्यक्ति ने राजनीति के घिसे पिटे फॉर्मूले की जगह सियासत में एक नई सोच, एक अलग तरह का व्यवहार और राजनीति के एक नए तौर-तरीके की शुरुआत की। असंभव सी लगने वाली चीजें संभव हो गईं। बीते 70 साल में सियासत करने की जो एक परिपाटी बनी हुई थी उसे इस व्यक्ति ने तोड़ दिया। बदलाव के लिए छोटी-छोटी चीजों से शुरुआत की। देश की तरक्की को उसने अपनी प्राथमिकता में रखा लेकिन आम आदमी को अपने विकास के एजेंडे से ओझल नहीं होने दिया। यह आदमी छोटी-छोटी चीजें करने में यकीन रखता है। छोटे बदलाव से बड़े परिणाम की उम्मीद बड़ी सोच वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
2014 से पहले यूपीए सरकार का कार्यकाल घोटालों, भ्रष्टाचार के लिए जाना गया। सरकार की बड़े फैसले लेने की अकर्मण्यता ने दुनिया में भारत की पहचान एक कमजोर देश के रूप में पेश की। टू जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला सरीखे भ्रष्टाचार ने देश की साख पर बट्टा लगाने का काम किया। देश निराशा के माहौल में था। पीएम के रूप में मोदी जो को विरासत मिली वह चुनौतीपूर्ण थी लेकिन वह इससे घबराए नहीं। अतीत की गलतियों से उन्होंने सबक सीखा। नए संकल्प, नई सोच और नई ऊर्जा के साथ देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने का दृढ़ संकल्प और इरादा दिखाया।
राजनीति की घिसी-पिटी परिपाटी को तोड़ते हुए अपने लिए एक नई राह चुनी। यह जानते हुए भी शासन के नए तौर-तरीकों पर उनसे सवाल किए जाएंगे, उनकी आलोचना होगी, उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाएगा, फिर भी वह अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए। उन्होंने जो ठान लिया उस पर आगे बढ़े। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने देश के लिए साहसिक एवं निर्णायक फैसले लिए। नोटबंदी, तीन तलाक एवं आतंकवाद के खिलाफ उनके बड़े कदमों ने पीएम मोदी को सख्त फैसले लेने वाले नेता की छवि पेश की। तो अपना प्रमाणपत्र सत्यापित करने एवं स्वच्छता पर उनके फैसलों ने आम नागरिकों में आत्म गौरव का भाव जगाया।
दुनिया उगते सूरज को प्रणाम करती है, यह बात नरेंद्र मोदी को अच्छी तरह पता है। वैश्विक कूटनीतिक एवं आर्थिक मोर्चों पर उन्होंने देश हित का हमेशा ख्याल रखा। फैसलों से चाहे कोई नाराज हो या खुश उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। उन्होंने देश हित को हमेशा सर्वोपरि रखा। अमेरिका और रूस को उन्होंने एक साथ साधा। सीमा पर चीन की चालाकी को उसे उसी की भाषा में जवाब दिया। पाकिस्तान को ऐसे सबक एवं जख्म दिए हैं कि वह कोई भी दुस्साहसिक काम करने से पहले सौ बार सोचेगा।
कोरोना संकट में भारत ने दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 100 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजकर भारत ने यह दिखाया कि वह केवल अपने पारे में नहीं सोचता। यूक्रेन संकट पर भारत के रुख की हर देश तारीफ कर रहा है। श्रीलंका को हर तरह से मदद पहुंचाकर भारत ने अच्छे पड़ोसी का ही नहीं बल्कि मानवता के मूल्यों में विश्वास करने वाले देश के चरित्र को सामने रखा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में यह देश अंगड़ाई लेकर एक बार फिर जग चुका है, वह दुनिया का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।