- नरेंद्र मोदी कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिनेश त्रिवेदी, भूपेंद्र यादव को मिल सकती है जगह
- अश्विनी वैष्णव, वरुण गांधी और जामयांग शेरिंग नामग्याल के नाम की भी चर्चा
- कई मंत्रियों पर जरुरत से अधिक बोझ का दिया गया हवाला
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे वर्ष में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है। बताया जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इलाकों के साथ साथ जातिगत समीकरणों पर ध्यान दिया जाएगा। इन सबके बीच Times Now के पास कुछ खास जानकारी है जिसके मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिनेश त्रिवेदी, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, वरुण गांधी और जामयांग शेरिंग नामग्याल को जगह मिल सकती है।
मोदी कैबिनेट में इन चेहरों को मिल सकती है जगह
- ज्योतिरादित्य सिंधिया,
- दिनेश त्रिवेदी,
- भूपेंद्र यादव,
- अश्विनी वैष्णव,
- वरुण गांधी
- जामयांग शेरिंग नामग्याल
ज्योतिरादित्य सिंधिया
अब सवाल यह है कि इन नामों की चर्चा क्यों हो रही है। यहां पर हम एक एक नाम की चर्चा करेंगे। सबसे पहले बात ज्योतिरादित्य सिंधिया की। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के इस चेहरे का बीजेपी में आना अपने आप में अनोखी घटना थी। सिंधिया जब बीजेपी में अपने समर्थकों के साथ आए तो उसका असर सत्ता बदलाव में दिखाई दिया। कमल नाथ को मुंह की खानी पड़ी और एक बार फिर मामा यानी शिवराज सिंह चौहान एमपी की सत्ता पर काबिज हुए। इसके साथ ही चंबल संभाग रीजन में बीजेपी को और ताकत मिली।
दिनेश त्रिवेदी
अब बात करते हैं कि दिनेश त्रिवेदी की। दिनेश त्रिवेदी बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी से बीजेपी में आए और उसे ममता बनर्जी के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा था। दिनेश त्रिवेदी को सरकारी कार्यप्रणाली को समझने और समझाने का तजुर्बा रहा है। जिसका फायदा मोदी सरकार उठाना चाहती है। इसके साथ ही उन दलों को संदेश है कि अगर कोई शख्स दूसरे दल से आता है तो बीजेपी सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सोचती है।
जामयांग शेरिंग नामग्याल
लद्दाख से बीजेपी सांसद नामग्याल जब कश्मीर से 370 हटाये जाने वाली डिबेट में अपना पक्ष रख रहे थे देश उन्हें सुनता रह गया था। अब इस नाम के पीछे क्या वजह हो सकती है। दरअसल ये लद्दाख से आते हैें और चीन से मौजूदा तनाव के बीच ये संदेश देने की कोशिश हो सकती है कि मोदी सरकार देश के सूदूरवर्ती इलाकों का भी ख्याल रखती है। इसके साथ ही साथ विपक्ष को संदेश भी कि बीजेपी जो कहती है वो सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं बल्कि धरातल पर करके दिखाती भी है।