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हेराल्ड मामले में ED का शिकंजा, खड़गे के बाद अब पवन बंसल से पूछताछ, नेताओं ने मीडिया से बनाई दूरी

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Apr 12, 2022 | 14:24 IST

National Herald case : एसोसिएटेड जर्नल्स (एजेएल) नेशनल हेराल्ड का प्रकाशक था, जो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया एक समाचार पत्र था। AJL की स्थापना भी 1937 में नेहरू ने की थी। नेहरू के अलावा, लगभग 5000 अन्य स्वतंत्रता सेनानी AJL के हिस्सेदार थे।

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नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

National Herald case : नेशनल हेराल्ड मामले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। पिछले दो दिनों में ईडी ने कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं जो यंग इंडिया लिमिटेड के मेंबर हैं, उनसे पूछताछ की है। सोमवार को ईडी ने मल्लिकार्जुन खड़गे और आज पार्टी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल को ईडी ने पूछताछ के लिए तलब किया है। दरअसल, नेशनल हेराल्ड मामला एक इक्विटी लेन-देन से संबंधित है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर एसोसिएटेड जर्नल्स की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का कथित रूप से केवल 50 लाख रुपये का भुगतान करके हेराफेरी करने का आरोप है।

यंग इंडिया लिमिटेड (YIL)की स्थापना नवंबर 2010 में हुई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत की बहुमत हिस्सेदारी थी। जबकि शेष 24 प्रतिशत हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थी - 12 प्रतिशत प्रत्येक के पास। अब इस मामले में ऑस्कर फर्नाडीस और मोतीलाल वोरा का निधन हो चुका है। उनकी जगह मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल को मेंबर बनाया गया है।

 नेशनल हेराल्ड मामले में तीन प्रमुख खिलाड़ी शामिल हैं - एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड, यंग इंडिया लिमिटेड और कांग्रेस।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड क्या है?

एसोसिएटेड जर्नल्स (एजेएल) नेशनल हेराल्ड का प्रकाशक था, जो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया एक समाचार पत्र था। AJL की स्थापना भी 1937 में नेहरू ने की थी। नेहरू के अलावा, लगभग 5000 अन्य स्वतंत्रता सेनानी AJL के हिस्सेदार थे। लेकिन 2010 में ये संख्या घटकर लगभग 1,000 रह गई। AJL का पंजीकृत कार्यालय हेराल्ड हाउस, आईटीओ में है।

कांग्रेस तस्वीर में कैसे आई..?

नेशनल हेराल्ड अखबार एक निष्क्रिय इकाई बन गया था। नुकसान के कारण यह अब प्रिंट में नहीं था। तब कांग्रेस ने उस अखबार को पुनर्जीवित करने के बारे में सोचा। कांग्रेस ने आगे बढ़कर एजेएल को 90 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया।

घोटाला क्या है..?

2010 में कांग्रेस, जो AJL की मूल ऋणदाता थी, ने YIL को ऋण सौंपा। इसके बाद, एजेएल को अब यंग इंडिया लिमिटेड को 90 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा। लेकिन चूंकि एजेएल कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं थी, इसलिए उसने अपनी सारी शेयरधारिता गांधी परिवार के स्वामित्व वाली यंग इंडिया लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी। इसके लिए YIL ने महज 50 लाख रुपये का भुगतान किया।

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मामले में जमानत पर बाहर हैं सोनिया-राहुल

अब, गांधी परिवार के खिलाफ आरोप ये हैं कि उन्होंने एक सार्वजनिक रूप से आयोजित कंपनी - 2000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रमुख अचल संपत्ति के साथ - जिसमें लगभग 50 लाख रुपये का भुगतान करके लगभग हजारों हितधारक थे। नवंबर 2012 में, सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निजी शिकायत दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया कि गांधी परिवार ने अपने स्वयं के YIL के माध्यम से एक सार्वजनिक स्वामित्व वाली कंपनी का अधिग्रहण करके धोखाधड़ी की है। वर्तमान में सोनिया गांधी और राहुल गांधी 2015 से पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर बाहर हैं।

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