नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को इस मामले का संज्ञान लिया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में तैरते कई शव पाए गए हैं। इस संबंध में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा गया है। एनएचआरसी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में असफल हुए हैं। आयोग ने बयान में कहा कि इसने (एनएचआरसी) दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को आज नोटिस जारी कर चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
NHRC ने कहा है, 'एनएचआरसी ने बयान में कहा कि शवों को हमारी पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करना स्पष्ट रूप से जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।' गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016, जो गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के उपायों से संबंधित है, में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी परियोजना या प्रक्रिया या गतिविधि को नहीं करेगा जो गंगा नदी में प्रदूषण का कारण हो।
कोरोना संक्रमितों के शव बहाए गए!
नोटिस एक शिकायत के आधार पर जारी किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि बरामद शव कोविड-19 से संक्रमित थे। शिकायत में कहा गया है, 'इसलिए, इस तरह से शवों का निपटान उन सभी व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जो अपने दिन की गतिविधियों के लिए पवित्र नदी पर निर्भर हैं।' नोटिस में आगे कहा गया है कि अगर ये मृत शरीर कोविड पीड़ितों के नहीं थे, तो भी इस तरह की प्रथाएं/घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक हैं, क्योंकि ये मृतक व्यक्तियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन भी हैं। शिकायतकर्ता ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए आयोग के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है, जो ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रहे हैं।
अधिकारियों ने अभी तक पुष्टि नहीं की है कि गंगा में तैरते हुए शव कोविड के रोगियों के थे।