- नवनिर्माण मंच पर उत्तराखंड से जुड़े सभी मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष से बातचीत होगी और सवाल होंगे।
- उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा- रेप जैसे विषय पर स्पीकर ही नहीं सभी को गंभीर होना चाहिए।
- विधायक पहले से ही अगर मन बना लेंगे कि उन्हें विरोध ही करना है तो सदन की कार्यवाही में व्यवधान खड़ा होगा।
देहरादून : हिमालय की गोद में बसे पर्वतीय राज्य एवं देवभूमि उत्तराखंड पर टाइम्स नाउ नवभारत के विशेष कॉन्क्लेव 'नवभारत नवनिर्माण मंच उत्तराखंड' का बुधवार को आगाज हुआ। कॉन्क्लेव की शुरुआत करते हुए टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ एवं टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर नाविका कुमार ने कहा कि इस मंच पर उत्तराखंड के विकास एवं निर्माण की बात होगी। देशवासियों को मिलकर नए उत्तराखंड का निर्माण करना है। इस मंच पर उत्तराखंड से जुड़े सभी मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष से बातचीत होगी और सवाल होंगे।
दीप प्रज्ज्वलन करने मंच पर पहुंचे उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर प्रेम चंद अग्रवाल की कुछ मुद्दों पर नाविका कुमार के साथ बातचीत हुई। नाविका ने स्पीकर से पूछा कि आज के दौर में विधानसभा सत्र को व्यवस्थित तरीके से चलाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। सदन में वह अपनी भूमिका कैसे निभाते हैं।
इस सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा, 'पांच वर्ष होने जा रहे हैं। मेरे यहां सदन बहुत अच्छे तरीके से चला है। पीठ पर बैठे हुआ व्यक्ति यदि निष्पक्षता से काम करे तो सदन चलाने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन विधायक पहले से ही अगर मन बना लेंगे कि उन्हें विरोध ही करना है तो सदन की कार्यवाही में व्यवधान खड़ा होगा।'
इस सवाल पर कि पिछले पांच सालों में राज्य में तीन मुख्यमंत्री बन गए लेकिन सदन के स्पीकर पद पर आप बने रहे, इसका क्या राज है? इस सवाल पर स्पीकर ने कहा कि मुख्यमंत्री क्यों बदले यह उनका विषय नहीं है लेकिन स्पीकर के रूप में उन्होंने पांच साल पूरा किया है, इसके लिए वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।
बातचीत में एडिटर इन चीफ नाविका ने कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर का मुद्दा उठाया। कांग्रेस के एक विधायक के 'रेप का मजा' लेने वाले बयान पर स्पीकर हंसते नजर आए थे। इस पर लोगों का गुस्सा देखने को मिला। क्या आपको लगता है कि स्पीकर को इस तरह का बर्ताव करना चाहिए। इस स्पीकर अग्रवाल ने कहा, 'गंभीर विषय पर गंभीरता दिखनी चाहिए। रेप जैसे विषय पर स्पीकर ही नहीं सभी को गंभीर होना चाहिए। पीठ पर बैठा व्यक्ति यदि ऐसा आचरण करेगा तो उसका गलत संदेश जाएगा।'