- मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए चुनावों तक नवजोत सिंह सिद्धू को साधे रखना सबसे बड़ी चुनौती है।
- आलाकमान सिद्धू और चन्नी दोनों को साथ लेकर चलना चाहता है इसलिए टिकट वितरण में सिद्धू को खास तवज्जो मिली है।
- 2017 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद से सिद्धू मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में लगे हए थे।
नई दिल्ली: 'मैं अरबी घोड़ा हूं' राहुल गांधी की मौजूदगी में पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करते वक्त, नवजोत सिंह सिद्धू का यह बयान कई मायने में अहम है। क्योंकि करीब ढाई साल से मुख्यमंत्री चेहरा बनने की कोशिश में लगे सिद्धू को कांग्रेस आलाकमान से निराशा हाथ लगी है। अब सवाल यही उठ रहे हैं कि क्या सिद्धू-चन्नी के साथ ताल-मेल बैठा पाएंगे। और चुनावों में एकजुटता दिखा पाएंगे। सिद्धू के बयानों और पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा होने की संभावना कम लगती है। हालांकि वह यही कह रहे हैं कि मुझे पैसे और पद का लालच नहीं है। और आलाकमान ने जो फैसला किया है वह मानूंगा।
काफी मान मौव्वल के बाद माने सिद्धू
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को चुनावों में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने में राहुल गांधी को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। सिद्धू को 2 घंटे मनाने में लगे। उसके बाद ही वह तैयार हुए। इसके पहले वह जनवरी में एक रैली के दौरान राहुल गांधी की मौजूदी में कह चुके थे आज पंजाब के लोग पूछते हैं कि आप कौन सा चेहरा दोगे। हम सब इकट्ठे हैं और अगली सरकार बनाने के लिए लड़ रहे हैं।मुझे फैसले लेने की ताकत देना चाहे कोई फैसला हो बस दर्शनी घोड़ा ना बना दें बाकी सब ठीक है।
इसीलिए 2 घंटे की बैठक में सिद्धू को यह आश्वासन दिया गया है कि सरकार बनने के बाद उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। लेकिन सिद्धू जिस तरह अधीर होते हैं और बड़े-बड़े बयान देते हैं, उससे उनका अलगा कदम क्या होगा यह कहना आसान नहीं है। हाल ही में जब कांग्रेस ने ऐलान किया कि वह जल्द ही सीएम चेहरे की घोषणा करेगी तो सिद्धू वैष्णो देवी के दर्शन करने चले गए थे। वह अक्सर ऐसी परिस्थितियों में वैष्णो देवी चले जाते हैं।
इसके पहले जब जुलाई 2020 में सिद्धधू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने कुछ ही दिनों बाद ट्विटर पर इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने एक रैली में यहां तक कह दिया था कि अगर उन्हें फैसले लेने की छूट नहीं दी गई तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे।
ये बातें सिद्धू के खिलाफ गईं
असल में सिद्धू का बड़बोला रवैया और अधीर होना सबसे ज्यादा उनके खिलाफ गया है। जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ उन्होंने अभियान चलाया और उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बावजूद, मुख्यमंत्री चन्नी को वह सपोर्ट करते हुए नजर नहीं आए। वह महा अधिवक्ता पर नियुक्ति, रेत खनन के मामले को लेकर चन्नी का विरोध करते रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बयान दे दिया कि आलाकमान पंजाब में मजबूत मुख्यमंत्री नहीं चाहता है। ये बयान सिद्धू के खिलाफ गए और नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि ऐसा तब है जब सिद्धू कांग्रेस आलाकमान के अभी भी चहेते बने हुए हैं।
इसी तरह अभी जब कांग्रेस अपने घोषणा पत्र पर काम कर रही है। सिद्धू ने पंजाब के लिए अपना खुद का विकास मॉडल पेश कर दिया। यह बात भी उनके खिलाफ गई। क्योंकि आलाकमान मतदाताओं में भ्रम की स्थिति नहीं चाहता था। इसलिए वह सिद्धू के विकास मॉडल को लेकर असहज हो गया था।
दलित और गरीब का राहुल ने खेला दांव
कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सितंबर में मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव चला था। एक तो चन्नी दलित हैं, दूसरे उनकी कार्यशैली भी आम आदमी की तरह है। जैसे कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद एक व्यक्ति के घर की बिजली जोड़ने के लिए खुद पोल पर चढ़ गए थे। इसके बाद पीएम मोदी की सुरक्षा की चूक मामले के बाद जिस तरह उन्होंने राजनीति की वह भी आलाकमान को मुफीद रहा है। राहुल गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करते वक्त कहा कि पंजाब के लोगों की मांग थी कि किसी गरीब को चेहरा बनाया जाय, इसीलिए गरीब के बेटे के मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा बनाया जा रहा है। पंजाब में करीब 30 फीसदी दलित हैं और पहली बार राज्य में कोई दलित मुख्यमंत्री बना है।
सिद्धू ने आलाकमान के फैसले पर कहा मैंने राहुल गांधी के फैसले को स्वीकार कर लिया है। अगर मुझे निर्णय लेने की शक्ति दी गई, तो मैं माफिया को खत्म कर दूंगा, लोगों के जीवन में सुधार करूंगा। सत्ता नहीं दी तो आप जिसे भी सीएम बनाएंगे, उसके साथ मुस्कुराकर चलूंगा।
क्या चन्नी सिद्धू को साध पाएंगे
वैसे मुख्यमंत्री चेहरा घोषित होने के बाज चन्नी ने कहा कि वह सिद्धू के पंजाब मॉडल को सफलता पूर्वक लागू करेंगे। इस बयान से साफ है कि चन्नी ने सिद्धू के साथ लेकर चलने की पहल कर दी है। यही नहीं टिकट बंटवारे में सिद्धू का दबदबा रहा है। ऐसे में साफ है कि आलाकमान चन्नी और सिद्धू को साथ लेकर चलना चाहता है। लेकिन सिद्धू के पुराने रिकॉर्ड और उनके मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश को देखते हुए उनके अगले कदम पर सबकी नजर है।
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