- राजद्रोह मामले में राणा दंपति ने दायर की जमानत अर्जी
- महाराष्ट्र सरकार की तरफ से काले कानून का इस्तेमाल किया गया
- याची के वकील ने 2021 के एक फैसले का हवाल भी दिया।
महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का मामला अब सियासी के साथ साथ कानूनी शक्ल भी अख्तियार कर चुका है। इस मुद्दे पर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए महाराष्ट्र पुलिस ने सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा के खिलाफ कई केस के साथ राजद्रोह का केस भी दर्ज किया है। इस मामले में राणा दंपति न्यायिक हिरासत में हैं और अपनी रिहाई के लिए जमानत अर्जी लगाई है। अदालत ने दोनों की अर्जी पर सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए टाल दी है। मुंबई पुलिस ने जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त की मांग की थी। हालांकि नवनीत राणा के वकील ने मुंबई पुलिस द्वारा अतिरिक्त समय की मांग का विरोध किया।
राणा दंपति ने दायर की है जमानत अर्जी
वादी की तरफ से दायर अर्जी में कहा गया है कि किसी भी रूप में यानी कल्पना में भी आवेदक के कृत्यों को देशद्रोह का अपराध नहीं कहा जा सकता है। आवेदक का इरादा हिंसा भड़काने या कोई सार्वजनिक अव्यवस्था फैलाने का नहीं था। 2021 में धारा 124-ए को चुनौती देने वाले माननीय सीजेआई के एक बयान का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्थिति की गंभीरता पर यदि कोई पक्ष दूसरे पक्ष की आवाज नहीं सुनना चाहता है तो वे विरोध के अधिकार को चुन सकते हैं। वर्तमान तथ्यों पर भी यही बात लागू होती है। प्रतिवादी ने,वर्तमान राज्य तंत्र के निर्देश पर, आवेदक के खिलाफ केवल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के इरादे से 124-ए के कठोर प्रावधान को लागू किया है।
नवनीत राणा का मुद्दा अब प्रिविलेज कमेटी को
इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नवनीत राणा के मामले को प्रिविलेज कमेटी को सौंपा है। दरअसल नवनीत राणा ने आरोप लगाया है कि जब उन्हें जेल में बंद किया गया तो उन्हें पानी पीने के बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया। जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल किया गया और इसके साथ ही वॉशरूम के इस्तेमाल की भी इजाजत नहीं दी गई। नवनीत राणा ने कहा कि उनका मकसद हिंसा फैलाना या कानून व्यवस्था को चुनौती देना नहीं था। उनका मकसद था कि उद्धव ठाकरे तक आम जनमानस की बात पहुंचे और उसे वो पहुंचाने में कामयाब रहीं।