मुंबई : भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए गुरुवार को स्कॉर्पियन क्लास की चौथी पनडुब्बी आईएनएस वेला सेवा में शामिल हो रही है। स्टील्थ फीचर से लैस यह पनडुब्बी 'साइलेंट किलर' है जो कि समुद्र में दश्मन को बर्बाद करेगी। यह दुश्मन को बिना भनक लगे उसके करीब पहुंच सकती है। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह मुंबई के नौसैनिक डकयॉर्ड में इस पनडुब्बी को सेवा में शामिल करेंगे। इस पनडुब्बी का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने मेसर्स नेवल ग्रुप आफ फ्रांस के सहयोग से किया है।
‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत 6 पनडुब्बियों का निर्माण
‘प्रोजेक्ट 75’ में स्कॉर्पियन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है। इनमें से तीन पनडुब्बियों - कलवरी, खंडेरी, करंज - को पहले ही सेवा में शामिल किया जा चुका है। आईएनएस वेला का पिछला अवतार 31 अगस्त, 1973 को सेवा में शामिल किया गया था और यह 25 जून, 2010 को सेवा से हटी थी। इसने 37 वर्षों तक राष्ट्र की महत्वपूर्ण सेवा की थी।
INS वेला की खासियत
- स्टील्थ तकनीक होने से यह दुश्मन की पकड़ में जल्द नहीं आएगी। यह बहुत कम आवाज करती है।
- इस पनडुब्बी का निशाना अचूक है। इससे 18 टॉरपीडो एवं मिसाइल लॉन्च हो सकते हैं।
- 35 नौसैनिक और 8 ऑफिसर में इसमें रह सकते हैं, समुद्र के अंदर 20 नॉटिकल मील की रफ्तार ।
- यह सबमरीन 550 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकती है। आईएनएस वेला 50 दिन तक समुद्र में रह सकती है
- आईएनएस वेला का वजन 1615 टन है। यह 200 किलोमीटर दूर से ही यह दुश्मन पर हमला कर सकती है।
- इस सबमरीन के सभी उपकरण एवं हथियार अत्याधुनिक हैं, इसका मोटर ज्यादा आवाज नहीं करता है।
आईएनएन वेला के नौसेना में शामिल होने से समुद्र में भारत की ताकत और बढ़ जाएगी। युद्ध के समय समुद्र में यह पनडुब्बी बड़े एवं अहम अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। हिंद महासागर में भारतीय हितों को सुरक्षित करने में आईएनएस बेला अहम भूमिका निभाएगी।